अहं का त्याग (भाग 2)

अहं का त्याग (भाग 2)

जब भी हम किसी अन्य व्यक्ति के कॉन्टेक्ट में आते हैं, तो जैसे हम अपने हाव-भाव अभिव्यक्त करते हैं, वैसे ही हमें अपने सामने वाले व्यक्ति को भी उनके अनुसार बिहेव करने का मौका देना चाहिए। इसका मतलब यह है कि, दूसरे व्यक्ति को उनके अनुसार उनकी बात रखने दें; जैसा वह चाहते हैं नाकि जैसा हम चाहते हैं कि वे ऐसा कहें या करें। उन्हें अपने हाथों की कठपुतली न बनाएं। हमारा कार्य है; उन्हें बताना, उनका मार्गदर्शन करना, लेकिन अपनी राय, अपने दृष्टिकोण, अपने विशेष गुण या संस्कार, जो हमारे अनुसार बिल्कुल सही और परफेक्ट हो सकते हैं, परन्तु सामने वाले के लिए उनका त्याग करने के लिए हमेशा तैयार रहें। साथ ही, रिश्ते में आने वाली किसी भी परिस्थिति में, दूसरे व्यक्ति की राय मानने के लिए भी तैयार रहें। परन्तु, आजकल किसी भी रिश्ते में, ऐसा कर पाना बहुतों को सबसे कठिन लगता है, और ऐसा करने के लिए हमें आध्यात्मिक शक्ति की आवश्यकता के साथ-साथ दूसरे व्यक्ति के प्रति प्यार की भी जरुरत होती है। साथ ही, विनम्रता और संतुष्टता जैसे गुण भी बेहद जरूरी हैं। आज हर रिश्ते में; चाहे हमारे घर पर, फ्रेंड सर्कल में या कहीं और; किसी भी जेंडर के साथ;अपने बच्चे या अपने बॉस के साथ, किसी दोस्त या अपने जीवनसाथी के साथ, ऐसे एडजस्टमेंट बहुत जरुरी होते हैं।

हमारे थॉट्प्रोसेस के अनुसार, किसी विशेष स्थिति के समय, उच्च आत्म-सम्मान में बने रहने कि मैं ही सही हूँ, परन्तु साथ ही दूसरे व्यक्ति को भी उस थॉट्प्रोसेस में कंट्रीब्यूट करने देने में, इन दोनों के बीच एक महीन रेखा होती है। इसका मतलब यह है कि, हमें दूसरे व्यक्ति को भी अपने थॉट्प्रोसेस में अपने विचार रखने की अनुमति देनी होगी। लेकिन अक्सर, हम डर के कारण कि, कहीं दूसरा व्यक्ति डोमिनेट न करने लगे या फिर हम स्वयं के प्रति इतने ऑब्सेस्सड होते हैं, जिसके चलते अपने सोचने की प्रक्रिया के चारों ओर दीवारें खड़ी कर लेते हैं, और दूसरे व्यक्ति को इसमें प्रवेश तक नहीं करने देते। हमेशा याद रखें, कि जो लोग दूसरों को अपनी बात रखने का मौका देते हैं, उनके विचारों के साथ सहज होते हैं, उनकी राय और दृष्टिकोण को उतना ही सम्मान देते हैं जितना कि स्वयं की, वे सभी के दिलों पर राज करते हैं। ऐसे लोग अपनी पॉवर के बल पर नहीं बल्कि अपने दिल के प्यार और सम्मान के बदले वही प्यार और सम्मान पाते हैं। और यह न केवल फिजिकल लेवल पर बल्कि हमारे सोचने के लेवल के साथ-साथ, इमोशनल लेवल पर भी, अपने से आगे दूसरों को इम्पोर्टेंस देने से होता है।

(कल भी जारी रहेगा…)

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