सबके लिए अच्छाई का भाव रखें (भाग 3)

सबके लिए अच्छाई का भाव रखें (भाग 3)

हर दिन कोई भी कर्म करते हुए, हमेशा अपनी दृष्टि में और अपने दिल में सभी के लिए, अच्छाई की भावना रखें। स्वयं को बताते रहें और कल्पना करें कि, परमात्मा दुनिया के हर व्यक्ति को कैसे देखते हैं? तो आप भी उनके समान, सामने आने वाले विशेष व्यक्तियों – जो कभी-कभी अच्छा व्यवहार नहीं करते या नेगेटिव स्वभाव के हैं, उनके लिए भी परमातम प्रेम और शुभकामनाओं भरी दृष्टि रखें। यदि, आपको उनके साथ आराम से और शांति से बातचीत करने में मुश्किल होती है तो, पोजिटीव ज्ञान को मन में रखते हुए, उस व्यक्ति के लिए एक पोजिटीव दृष्टिकोण रखें। अब इस पोजिटीव दृष्टिकोण के आधार पर, उनके लिए पोजिटीव विजन क्रिएट करें। तो आप पाएंगे कि, आपकी दृष्टि जितनी पोजिटीव होगी- उस व्यक्ति के प्रति आपके बोल और कर्म उतने ही सुंदर और पोजिटीव होंगे। और जितना अधिक आपके शब्द और कर्म; प्यूर और अच्छे होंगे, उतना ही वह व्यक्ति आपके अनुसार, एक अच्छे व्यक्ति में बदल जाएगा। किसी को भी अच्छा बनाने का यही रहस्य है। हमारी एवेअरनेस हमारे दृष्टिकोण को- हमारा दृष्टिकोण हमारी दृष्टि को – हमारी दृष्टि हमारे शब्दों और कार्यों को प्रभावित करती है और ये सभी मिलकर उस सामने वाले व्यक्ति में, अच्छाई के पोजिटीव वाईब्रेशन क्रिएट करते हैं। यही पोजिटीव एनर्जी उस व्यक्ति के स्वभाव को बेहतर बनाने में मदद करती है। इसी इक्वेशन के द्वारा; स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन या फिर मेरे द्वारा दूसरों में परिवर्तन संभव  है।

हम सभी एक ऐसी दुनिया में रहते हैं, जहाँ कभी-कभी घर में, हमारे कार्यस्थल पर  या समाज में रहने वाले लोगों में नेगेटिविटी देखते हैं। साथ ही, कभी-कभी हम लोगों को बुरा भी मानते हैं, चाहे वे ऐसे भी हों। लेकिन ध्यान रहे, कि आप अपनी अच्छाई को कभी न छोड़ें। परमात्मा इस पूरी दुनिया में इतनी नेगेटिविटी देखने के बाद कभी भी – किसी के लिए भी, अपनी अच्छाई की दृष्टि को नहीं बदलते हैं। वह हमेशा मानते हैं कि जैसे वे हमेशा पवित्र और ज्ञानी हैं वैसे ही सभी मनुष्य- आत्माएं हैं, वे जानते हैं कि जब वे सभी इस दुनिया में आए, तो सभी प्यूर और पोजिटीव थे, लेकिन कई जन्मों में आते-आते, सबकी अच्छाईयां कम होती गई; साथ ही वे अपनी दृष्टि को पोजिटीव रखते हुए, सभी के श्रेष्ठ परिवर्तन की शुभ कामना भी रखते हैं। तो आइये अच्छा बनें, अच्छा देखें और सभी के प्रति अच्छाई की दृष्टि रखकर; उन्हें भी अच्छा बनने में मदद करें और कभी भी इस बुराई और खामियों से भरी दुनिया में, अपनी अच्छाईयों को न छोडे।

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