28th aug 2023 soul sustenence hindi

रक्षा बंधन के पावन पर्व को दिव्यता और सुंदरता के साथ मनाना (भाग 1)

रक्षा बंधन भाई-बहन के बीच मनाया जाने वाला एकमात्र त्यौहार है, जो ‘पवित्रता और सुरक्षा’ के बंधन पर आधारित होता है।

आजकल इस त्यौहार को मनाए जाने वाले रीति-रिवाज पहले के जमाने से बहुत अलग हो चुके हैं। पहले प्रत्येक परिवार में एक पुजारी होता था, जिसे प्रार्थना और घर की शुद्धि के लिए आमंत्रित किया जाता था। वे पुजारी सभी की कलाई पर एक पवित्र धागा बांधते थे। वह पवित्र धागा प्रतिज्ञा का प्रतीक होता था। परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने जीवन में सही कर्म करने का वादा करता था, लेकिन समय के साथ-साथ ये पुराने रीति-रिवाज बदलने लगे और फिर परिवार की युवा लड़कियाँ सभी को पवित्र धागा बाँधने लगी और अब यह परंपरा बहनों द्वारा अपने भाइयों की कलाइयों पर पवित्र धागा बाँधने में बदल गई।

अब यह समझने की बातें हैं कि, अगर कोई भाई छोटा बच्चा है तो क्या वह अपनी बहन की रक्षा कर सकेगा? और क्या एक भाई अपनी बहन की सुरक्षा के लिए हमेशा उसके आस-पास रह सकता है? या फिर सिर्फ बहनों को ही सुरक्षा की जरूरत है, भाइयों को नहीं? और क्या ये त्यौहार केवल शारीरिक सुरक्षा तक ही सीमित है या फिर इसके अंदर और भी कोई गहरी सीख छुपी है?

हमारे द्वारा मनाए जाने वाले प्रत्येक त्यौहार और अनुष्ठान के पीछे हमेशा एक अर्थ होता है। ये तो केवल एक सिम्बल के रूप में प्रचलित है कि, हम आत्माओं को एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीने के लिए क्या करने की आवश्यकता है।

अतः हम यह समझ सकते हैं कि, रक्षा बंधन का त्यौहार केवल बहनों द्वारा राखी बांधने और भाईयों द्वारा बहनों की रक्षा करने से कहीं बढ़कर है। यह पावन त्यौहार हमें पवित्रता और सुरक्षा के बीच सीधे संबंध की याद दिलाता है।

(कल भी जारी रहेगा…)

नज़दीकी राजयोग सेवाकेंद्र का पता पाने के लिए