
आंतरिक सुंदरता (इनर ब्यूटी) के तीन दर्पण (भाग 2)
कल के सन्देश में हमने पहले दर्पण, आध्यात्मिक ज्ञान के दर्पण की चर्चा की थी। यह दर्पण आपको परमात्मा को भी दिखाएगा और साथ ही
हमेशा याद रखें कि, किसी भी रिश्ते में जो व्यक्ति दूसरे को अपने से ज्यादा अहमियत देकर आगे रखता है, वही रिश्ते को संभाल कर आगे बढ़ाता है, भले ही यह हम सबको थोड़ा अजीब लगता हो। यहाँ पर दूसरे व्यक्ति को आगे रखने का अर्थ है कि, उनकी बातों को एक्सेप्ट करना, भले ही हम किसी विशेष मामले में उनकी राय से सहमत न भी हों। अक्सर हम देखते हैं कि, हमारे ऑफिस और घरों में कुछ लोग एक-दूसरे से बहुत क्लोज़ होते हैं। और इसके विपरीत, कुछ अन्य मामलों में, लोग अपने रिश्तों को मैनेज करने के लिए आपस में नेगेटिव शब्दों के साथ नेगेटिव एनर्जी भी रेडिएट करते रहते हैं। रिश्तों में इगो के टकराव को हम कुछ उदाहरण द्वारा समझ सकते हैं; माना एक ऑफिस में दो कॉलीग के बीच में इतना खूबसूरत रिश्ता है कि, ऑफिस में उनका पूरा दिन बहुत अच्छे से बीतता है, और वे आपस में कभी भी एक-दूसरे से झगड़ा या बहस भी नहीं करते। जबकि दूसरी ओर, एक दूसरे ऑफिस में, दो कॉलीग एक-दूसरे के साथ काम नहीं कर सकते और एक दूसरे का सामना तक करना नहीं चाहते। इसके पीछे मुख्य कारण है, अहंकार का भाव कि – मैं आपसे अधिक स्मार्ट हूं या मैं अधिक स्किल्ड हूं या मैं आपसे अधिक मेहनत करता हूं या मैं आपसे अधिक बुद्धिमान हूं आदि। और ऐसे अहं भरे विचार ही रिश्तों को खराब कर, उन्हें प्यार और नजदीकियों से भरा एक खूबसूरत बंधन नहीं बनने देते हैं।
आमतौर पर कहा जाता है – कि आपस के इश्यूज भूलकर दोस्त बन जाओ। लेकिन ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बात यह है कि, किन्हीं भी दो व्यक्तियों के बीच इश्यूज हमेशा रहेंगे, उनके विचार व् दृष्टिकोण एक जैसे नहीं हो सकते हैं। लेकिन इन आपसी मतभेदों को भूलकर, उनको रेसॉल्व करना होगा। इसी में ही सच्ची सफलता और जीवन का सुकून है। किसी ऑफिस में हमारी सक्सेस केवल हमारे टैलेंट या फिर अकेले हम कितना अच्छा प्रदर्शन करते हैं, उससे नहीं मापी जा सकती, बल्कि इससे भी इम्पोर्टेन्ट है कि, हम अपने रिश्तों को कितनी अच्छी तरह संभालते हैं और कितने मधुर व् विनम्र हैं।और ऐसे लोग ही सम्मान पाते हैं। जबकि इगोस्टिक व् हार्ड स्वभाव वाले व्यक्ति, जो आवश्यकता पड़ने पर अपने अहंकार का त्याग करने या फिर झुकने में असमर्थ होते हैं, उनकी तुलना में लोग मधुर व् विनम्र व्यक्ति की संगति में रहना चाहते हैं। याद रखें जीवन बहुत छोटा है; तो क्यों न अपने माता-पिता, अपने जीवनसाथी, अपने ऑफिस कॉलीग, अपनी सास, या अन्य कोई भी हो, सभी के साथ हर दिन का आनंद लें। वे सभी आपके लिए और आप उनके लिए मायने रखते हैं। इसलिए अहंकार का त्याग करके, उनके आशीर्वाद का आनंद लेकर जिंदगी गुजारें।
कल के सन्देश में हमने पहले दर्पण, आध्यात्मिक ज्ञान के दर्पण की चर्चा की थी। यह दर्पण आपको परमात्मा को भी दिखाएगा और साथ ही
हम सभी हर दिन, अपनी बाहरी दिखावट, सजावट या साफ-सफाई को परखने के लिए दर्पण देखते हैं। लेकिन क्या हम जानते हैं कि, मानसिक, भावनात्मक
हमारे जीवन में किसी भी परीस्थिति का नकारात्मक परिणाम हो सकता है, लेकिन अक्सर हम नकारात्मक परिणाम के बारे में उसके होने से पहले ही
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