29th aug 2023 soul sustenence hindi

रक्षा बंधन के पावन पर्व को दिव्यता और सुंदरता के साथ मनाना (भाग 2)

रक्षाबंधन का अर्थ है “सुरक्षा का बंधन”। हमें अपने जीवन में नुकसान व दर्द पहुंचाने वाली सभी बातों से सुरक्षित होने की आवश्यकता है। फिजिकल लेवेल पर दुनिया भर में जो भी आतंक और नुकसान हो रहा है, असल में वह भावनात्मक अशांति का ही परिणाम है। काम-विकारों से भरी आत्मा अशुद्ध कर्म करेगी; लोभी आत्मा चोरी-चकारी करेगी; आक्रामकता से भरी आत्मा हिंसा में लिप्त होगी। हमारे अंदर के 5 विकार; काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार ही आत्मा की भावनात्मक पीड़ा का कारण हैं और जब ये कर्म में आते हैं, तो इन विकारों से ग्रसित आत्मा दूसरों को भी नुकसान पहुंचाती है।

हम सभी को अहंकार, काम, क्रोध, जलन, ईर्ष्या, जुनून, लालच, घृणा, चोट, लगाव, आलोचना, वर्चस्व, चालाकी जैसे विकारों से स्वयं को बचाने की जरूरत है। हमें स्वयं की और दूसरों की रक्षा के लिए अपने ओरिजीनल सात दिव्य गुणों – शांति, आनंद, प्रेम, सुख, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान का उपयोग करके संकल्पों, बोल और कर्म में शुद्धता लाने की आवश्यकता है। अपने इन शुद्ध गुणों को अपने जीवन में अनुभव करने और अपने चारों ओर रेडीएट करने के लिए, स्वयं से और परमात्मा से अनुशासित जीवन जीने का वादा करना होगा –

  1. ज्ञान – शुद्ध विचारों के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का अध्ययन
  2. योग – स्वयं को सशक्त बनाने के लिए मेडीटेशन के द्वारा परमात्मा से जुड़ना 
  3. धारणा – अपने जीवन और कार्य करने के तरीकों में; आध्यात्मिक सिद्धांतों का उपयोग करना
  4. सेवा – मन और तन से दूसरों को देने का भाव रखना और उनकी सेवा करना
  5. सात्विक (शुद्ध) खान-पान की आदतें अपनाना 

इस प्रकार से रक्षाबंधन का दिव्य त्यौहार हमें पवित्रता, प्रतिज्ञा और सुरक्षा का संबंध सिखाता है।

(कल भी जारी रहेगा…)

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08th dec 2024 soul sustenence hindi

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