अंदर के ‘मैं’ का अहसास और अनुभव (भाग 1)
हम सभी अपना जीवन बहुत तेज़ी से जीते हैं, एक दृश्य के समाप्त होते ही अगले दृश्य में चले जाते हैं, फिर पहले दृश्य को
आम धारणा के विपरीत, आदर और सम्मान अलग-अलग हैं। किसी के भी प्रति सम्मान; लोगों की भूमिकाओं और पदों के आधार पर एक सामान्य शिष्टाचार और प्रोटोकॉल के लिए यूज़ किया जाता है, जबकि आदर की भावना किसी भी व्यक्ति के लिए रेडिएट हो सकती है। हमारे दिल में लोगों के लिए सम्मान अलग-अलग आधार पर हो सकता है, लेकिन आदर सबके लिए बराबर और समान होना चाहिए। तो जानें कि, लोगों का सम्मान करने और उन्हें आदर देने में हमारे क्या पैरामीटर हैं? हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कितना अच्छा व्यवहार करते हैं; जो उम्र या पद में हमसे जूनियर है, या जिसने हमसे कम उपलब्धि हासिल की है? क्या हम ये तो नहीं मानते हैं कि, आदर और सम्मान एक ही बात हैं? इस समाज में हमारी भूमिकाएँ और पद अलग-अलग हैं जिसके आधार पर हमने उन्हें हायर और लोअर का नाम दिया। लेकिन, इसके साथ ही हमने आदर और सम्मान को भी मिक्स कर दिया, जबकि किसी का आदर करना उनके प्रति हमारी भावनाएं हैं कि, वे कैसे हैं। सम्मान; लोगों की उपलब्धियों, भूमिकाओं और वेल्थ के लिए यूज किया जाने वाला एक जेस्चर है। हमें लोगों की भूमिकाओं और पदों के अनुसार, शिष्टाचार बढ़ाने और बाहरी तौर पर प्रोटोकॉल का पालन करने की आवश्यकता है। इसलिए सम्मान लोगों की भूमिकाओं के लिए होता है। जबकि आदर हमारे उस रियल अस्तित्व के लिए है, जो हम हैं। चूँकि हम सभी समान रूप से शुद्ध और सुंदर प्राणी हैं, इसलिए किसी के भी आदर में अंतर नहीं होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से आदर दिया जाना चाहिए। अतः सभी का आदर करने के लिए; अच्छे थॉट्स रेडिएट करें, अच्छे शब्द बोलें और कॉर्डियली व्यवहार करें। उनके पास पद, प्रतिष्ठा जो भी है उसके आधार पर, हमारा उनके प्रति सम्मान अलग-अलग हो सकता है, लेकिन हमारा आदरभाव समान होना चाहिए
आदरभाव हमारे रिश्तों की नींव है, इसलिए सम्मान और आदर को अलग-अलग यूज करना ही उचित होगा। बीइंग (अस्तित्व) का आदर करें और उस रोल द्वारा किये गए कार्यों का सम्मान करें। लोगों की उम्र, ज्ञान, उपलब्धियों, धन, भूमिका या स्थिति के प्रति सम्मान रखें लेकिन, आदर को सम्मान के साथ न जोड़ें| लोगों के रोल के हिसाब से हमारा उनके प्रति आदरभाव नहीं बदलना चाहिए| रोल के आधार पर हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन आदरभाव बना रहना चाहिए। स्वयं का आदर करें और साथ ही सभी के प्रति आदरभाव रखें| हर एक व्यक्ति का उसके गुणों और स्वभाव के लिए आदर करें। हमारी किसी भी व्यक्ति से बातचीत की शुरुआत प्योर वाईब्रेशन के साथ होनी चाहिए। किसी से भी मिलने से पहले, अपने मन में उनके प्रति; एक ख़ूबसूरत और शांतिप्रिय व्यक्ति होने का विचार रखें और फिर उनसे बात करें। हर किसी के व्यवहार को स्वीकार करके, उनका आदर करें न कि उनपर सवाल उठाएं। वे जो भी रोल निभाते हैं, उसको देखने से पहले उनके स्व (बीइंग) को देखते हुए, ऑथेन्टिक आदरभाव रखें। हमारे मन, वचन और कर्म के रेडिएशन सभी के लिए एक जैसे हों, और हमारी रेस्पेक्ट भी सभी के लिए समान हो।
हम सभी अपना जीवन बहुत तेज़ी से जीते हैं, एक दृश्य के समाप्त होते ही अगले दृश्य में चले जाते हैं, फिर पहले दृश्य को
हम सभी इस जीवन रूपी नाटक में अभिनेता हैं और कई भूमिकाएं निभा रहे हैं। हर दृश्य में हमें अपनी स्क्रिप्ट लिखने और उसपर अभिनय
प्रतिदिन परमात्मा द्वारा दिए गए ज्ञान को अपने मन में दोहराएं– प्रतिदिन परमात्मा हमसे ज्ञान साझा करते हैं, जिसे हम पढ़ते हैं और अपनी डायरी
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