अपने अंदर की सकारात्मकता को जागृत करना (भाग 3)

अपने अंदर की सकारात्मकता को जागृत करना (भाग 3)

कल के संदेश में, हमने उन स्थितियों को उदाहरण के द्वारा समझा जो हमने स्वयं ने क्रीएट की हैं। ये मेरे अपने मन द्वारा निर्मित की गई होती हैं, या फिर कभी-कभी किसी बाहरी स्थिति का द्व्रारा उत्पन्न होती हैं और, कभी-कभी उस स्थिति के लिए कोई भी बाहरी घटना ज़िम्मेदार नहीं होती। इसके अलावा, मेरे मन में असुरक्षा की भावना मेरे भौतिक शरीर की स्थिति, मेरे संबंधों से जुडी परिस्थितियाँ और मेरे कार्यस्थल और घर से संबंधित परिस्थितियाँ हैं। ये सभी स्थितियाँ आंशिक रूप से बाहरी और आंतरिक होती हैं, यानि कि एक बाहरी फेक्टर भी है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। और बहुत सारे मामलों में, जब हम किसी स्थिति को एक परिस्थिति के रूप में स्वीकार करते हैं लेकिन असल में वह सिर्फ एक नकारात्मक प्रवृत्ति वाले व्यक्ति की धारणा है, जबकि वास्तव में ऐसी कोई स्थिति मौजूद नहीं होती है। अन्य सभी मामलों में, परिस्थितियां होती हैं और यह इतना फेक्चुअल है, जिसे सकारात्मक धारणा वाला व्यक्ति भी स्वीकार करता है। किसी भी स्थिति को हम कैसे समझते हैं, उस पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं और उसे देखकर कैसे विचार क्रिएट करते हैं, इस सबके अनुसार, पहले हमारे मन में परिस्थिति बड़ी या छोटी होती है। लेकिन इन सबके अलावा एक और पहलू भी है – जीवन की कुछ परिस्थितियाँ खतरनाक होती हैं और, सबसे शक्तिशाली आत्माओं को भी परेशान कर सकती हैं। निःसंदेह, हर व्यक्ति में भय की स्थिति उनकी धारणाओं के आधार पर अलग-अलग होती हैं। एक शक्तिशाली और शांत मन इन सभी परिस्थितियों का सामना कर सकता है। ऐसी ही मेडीटेशन तकनीक, जो आपको ऐसी अवस्था बनाने में मदद करेंगी, ब्रह्मा कुमाऱीज संस्था में सिखाई जाती हैं।

 

मेडीटेशन हमारे मन के विचारों को ट्रेन्ड करने का एक प्रोसेस है – ठीक वैसे ही जैसे एक क्रिकेटर बहुत सावधानी से अभ्यास करेगा कि, ज्यादा से ज्यादा रन स्कोर करने के लिए वह प्रत्येक गेंद को कैसे खेलेगा? उसी तरह से हम मेडीटेशन का अभ्यास करने पर अपने प्रत्येक विचार को महत्व देना सीखते हैं और यह भी कोशिश करते हैं कि, मेडीटेशन के उन पलों में केवल सकारात्मक विचार ही पैदा करें। हमारे ये सकारात्मक विचार परमात्मा द्वारा दिये गये आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित होते हैं और वे हमारे ओरीजिनल आत्मिक स्वरूप और सर्वोच्च सत्ता-परमपिता परमात्मा के बारे में हैं। ये सकारात्मक विचार बहुत ही धीमी गति से, स्टेप बाई स्टेप और सावधानीपूर्वक क्रिएट किए जाते हैं। प्रतिदिन कुछ मिनटों के लिए मेडीटेशन का अभ्यास करने से हम नकारात्मक परिस्थितियों में स्टेबल रहने के लिए ट्रेंड हो पाते है। और इस अभ्यास के कारण, जब भी हमारे जीवन में नकारात्मक परिस्थितियाँ आती हैं, तो हम शांत रहकर केवल सकारात्मक विचार क्रिएट करते हैं और, अपने मन और जीवन में अशांति पैदा करने वाले नकारात्मक विचारों को दूर रखते हैं|

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16 May 2025 soul sustenance Hindi

परमात्म साथ से जीवन को बदलने वाले 5 लाभ (भाग 3)

हम अक्सर इंद्रियों के सुखों के पीछे भागते हैं, लेकिन सच्चा आनंद तो परमात्मा के साथ से मिलता है। ईश्वर हमें दुनियावी सुखों से नहीं रोकते, बस इतना कहते हैं — मुझे मत भूलो। इस भाग में जानिए, कैसे ईश्वर से जुड़ाव जीवन को देता है नई दिशा, स्थायी संतोष और गहराई।

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