30th Aug 2023 Soul Sustenence Hindi

रक्षा बंधन के पावन पर्व को दिव्यता और सुंदरता के साथ मनाना (भाग 3)

रक्षा बंधन का पावन पर्व शुभकामनाओं के आदान-प्रदान के साथ-साथ तिलक लगाने, पवित्र धागा बांधने, मिठाइयाँ खिलाने से लेकर उपहारों के लेन-देन से शुरू होता है।आईये इस सुंदर पर्व के हर एक रीति का रिअल अर्थ समझकर मनाएं-

  1. प्यार भरा अभिवादन – हमारा हर संकल्प और बोल सभी के लिए आशीर्वाद हो। उनके संस्कार और व्यवहार चाहे जैसे भी हों, लेकिन हमें केवल शुद्ध और सकारात्मक संकल्प और बोल ही क्रिएट करने हैं, ऐसा करने से हम उन्हें अपने संस्कारो को बदलने की शक्ति देते हैं। हमारे शुभ आशीर्वाद उनकी रिएलिटी बनकर उनका भाग्य बदल देते हैं। तो आएं, अतीत की सभी बातों को अपने मन से भुलाकर, उनके द्वारा भेजे गये अशुद्ध और नकारात्मक वाइब्रेशन को भूलकर उनके लिए सदा शुभेच्छा रखें।
  2. तिलक – इसे हम मस्तक के मध्य में, आत्मा के रहने के स्थान या तीसरी आँख को जागृत करने की याद, के रूप में लगाते हैं। इसका अर्थ है कि, इस रिएलिटी में आना कि मैं यह शरीर, निभाए जाने वाले रोल व रिश्ते-नाते नहीं हूँ, बल्कि मैं एक दिव्य आत्मा हूं और जिनके भी संबंध-संपर्क में आता हूं वह भी मेरे समान आत्मा हैं। इस शाश्वत सच द्वारा इस जीवन के हमारे पद, पोजीशन के कारण पैदा हुए देह-अभिमान की समाप्ती  हो जाती है। हम सभी जानते हैं कि, देह-अभिमान ही सब विकारों का आधार है और आत्मिक स्वरूप की एवेअरनेस या देही अभिमानी स्थिति ही सब सद्गुणों का आधार है।
  3. राखी – राखी शब्द रक्षा से आया है, जिसका अर्थ है ‘सुरक्षा’। राखी बांधना माना हमारे पवित्रता और प्रेम के ओरिजीनल संस्कारों को अपने हर संकल्प, बोल और कर्म में यूज करने की हमारी प्रतिज्ञा का प्रतीक है और यही हमारी सुरक्षा है। जब तक ये पावन राखी व रक्षा सूत्र हमारी कलाई पर बंधा रहता है तो, यह हमें स्वयं से और अपने परमात्मा से की गई प्रतिज्ञा याद दिलाता रहता है।
  4. मिठाई – इसकी मिठास हमें याद दिलाती है कि, हमारे संकल्प, भावनाएं, स्वभाव और बोल हमेशा मीठे होने चाहिए। इससे हमारे रिश्तों में मधुरता आती है |
  5. उपहार आखिर में उपहारों के लेन-देन के रूप में, हम अपनी कोई ऐसी लत, आदत या संस्कार चुनें, जो हमें परेशान करता है| इस रक्षाबंधन पर उसका त्याग करें, यही वो सबसे अच्छा उपहार है जो हम स्वयं को, अपने परिवार को और परमात्मा को दे सकते हैं।

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18 June 2025 Soul Sustenance Hindi

दूसरों के साथ ऊर्जा के लेन-देन को बेहतर बनाएं (भाग 3)

हम हर दिन ऊर्जा का लेन‑देन करते हैं—विचार, भावनाएँ, कर्म। अगर इसमें आध्यात्मिक समझ और प्रेम शामिल करें, तो रिश्तों की गुणवत्ता सुधरती है। लेकिन अधिक लगाव से अपेक्षाएं बनती हैं, जो दुख और तनाव लाती हैं। सीखें संतुलन से जुड़े रहना।

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