अपने अंदर की सकारात्मकता को जागृत करना (भाग 1)

अपने अंदर की सकारात्मकता को जागृत करना (भाग 1)

जीवन के प्रति सकारात्मक/ पोजिटीव दृष्टीकोण रखना हमारा ओरीजिनल स्वभाव है, जिसे हम अपनी व्यस्त जीवनशैली में कभी-कभी खो देते हैं। यह उस गले के हार की तरह है जो हमारे गले में ही पडा हुआ है, लेकिन हमें इसका एहसास नहीं होता और हम इसे चारों ओर खोजते हैं। इसलिये अपने दिन की शुरुआत; अपने मन और बुद्धी को किसी सकारात्मक स्रोत से जोडकर, सकारात्मक इन्फोर्मेशन लेने के साथ करें। ये सकारात्मक इन्फोर्मेशन हमारे मन को स्ट्रेन्थ देकर, हमारे चारों ओर मौजूद नकारात्मकताओं से हमें बचाते हैं। अक्सर गले में पडे हुए हार की तरह, हमारे जीवन में सकारात्मकता अस्थायी रूप से कहीं खो जाती है और इसे ढूंढना भी बहुत आसान होता है, लेकिन हमारे चारों और मौजूद नकारात्मक प्रभाव हमें सकारात्मक बनने और इसे पुनः प्राप्त करने के तरीकों के बारे में सोचने ही नहीं देता है।

आइये, इसे एक कहानी द्वारा समझें: एक बार एक अमीर व्यापारी था; जो दिनभर में छोटी-छोटी वजहों से परेशान होने का कोई न कोई बहाना हमेशा ढूंढ लेता था। वह हर सुबह दिन भर सकारात्मक रहने का निर्णय लेता था और खुद से वादा करता था कि, कोई भी समस्या आए लेकिन वो अपने दिमाग को प्रभावित नहीं होने देगा। लेकिन, जैसे ही वह अपना व्यापार शुरू करता था, तो अपने काम की जटिल प्रकृति के कारण वह किसी न किसी समस्या का शिकार हो जाता था। ये समस्याएं व दिक्कतें या तो काम के कारण होती होंगी, या उसके द्वारा संभाले गए पैसों से, या फिर उसके सहयोगियों के द्व्रारा या कभी-कभी उसके अपने दिमाग से पैदा हुई किसी समस्या के कारण समस्याएं उत्पन्न होती होंगी। एक ऐसा मन जो बहुत ही आसानी से कठिनाइयों को आमंत्रण देता है, उसकी तुलना उस घर से की जा सकती है जहां एक छोटे से चूहे के रूप में एक छोटी सी समस्या प्रवेश करती है और पूरे घर में अशांति ला देती है। और जब घर का मालिक चूहे से छुटकारा पाने में कामयाब हो जाता है और सोचता है कि सब कुछ ठीक है, तो एक बिल्ली घर में आ जाती है और उसकी परेशानी बढ़ा देती है और फिर घर का मालिक उसे अपने घर से बाहर निकालने की कोशिश में व्यस्त हो जाता है। फिर ऐसे ही बिल्ली के पीछे-पीछे घर में कुत्ते की एंट्री होती है और घर का मालिक अब उसे बाहर निकालने में व्यस्त होकर दिनभर इस सबमें ही बिजी रहता है। तो कहानी का सार यह है कि – जो अशांत रहता है वह अशांति को दूर करने की कोशिश में उन्हें और अधिक आकर्षित करता रहता है। समस्याओं को दूर रखने की कोशिश करने और उसमें जरुरत से ज्यादा इन्वोल्व होने के कारण ऐसी मानसिकता, और अधिक समस्याओं को आकर्षित करती है। इसलिए, दिन में सबसे पहले आने वाली समस्या के वक़्त शांत रहें और इसे दूर करने की कोशिश में ज्यादा इन्वोल्व या भ्रमित न हों। पूरे दिनभर समस्याओं को दूर रखने का यह पहला कदम है। याद रखें कि; मेरी शांति की अवस्था मेरे चारों ओर एक समस्या मुक्त वातावरण बनाती है और मुझे संतुष्ट, शक्तिशाली और शांतिपूर्ण भी रखती है।

(कल भी जारी रहेगा…)

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