धन के साथ दुआएं भी कमाएं
धन कमाना जितना ज़रूरी है उतना ही उस धन से शारीरिक सुख-सुविधाएं खरीदना भी। लेकिन धन केवल एक मुद्रा नहीं है, बल्कि यह एक ऊर्जा
हमारे जीवन का एक खूबसूरत पहलू, जिसे हम कभी-कभी इम्पोर्टेंस नहीं देते हैं, वह है हर किसी के प्रति हमारा दृष्टिकोण कैसा है और हम दूसरों को कैसे देखते हैं? हम सभी को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। आइये, इसको एक उदाहरण के द्वारा समझें; एक बार एक व्यापारी, अपनी मेहनत और लगन के कारण, अपने क्षेत्र में सबसे सफल व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। हजारों लोग उसकी प्रशंसा और सम्मान करते थे। सभी का रवैया उनके प्रति बेहद अच्छा और पॉजीटिव था। लेकिन कुछ समय बाद, उनका व्यापार थोड़ा नीचे जाने लगा जिसकी वजह से, अचानक लोग उससे दूर होने लगे, उसके प्रति कई लोगों का नजरिया भी नेगेटिव हो गया, और जो लोग उनके अच्छे समय में उनकी सफ़लता से खुश थे, वही लोग उनके जीवन की कठिन परिस्थिति में उनके साथ नहीं थे। दुनिया ने उनसे मुंह मोड़ना शुरू कर दिया था। उन्हें अपने आसपास के लोगों से ऐसा रिएक्शन क्यों मिला? क्या उनमें कुछ कमी थी? क्या उन्होंने कुछ गलती की थी? नहीं, बिल्कुल नहीं। लेकिन उनके लिए दुनिया बदल गयी थी, नेगेटिव भाव रखने लगी थी। आध्यात्मिक ज्ञान कहता है कि, हमारा दृष्टिकोण/ नज़रिया सभी के लिए, न केवल पॉजीटिव बल्कि एवर-पॉजीटिव (सदा-सकारात्मक) होना चाहिए।
क्या हम हमेशा सभी के लिए पॉजीटिव दृष्टिकोण रखने में सक्षम हैं? क्या हमनें कभी सोचा है कि, कौन सी चीज हमें ऐसा करने से रोकती है? लोगों के प्रति हमारा नजरिया बहुत आसानी से बदल जाता है। इसका उदहारण है; माना दो लोग A और B आपस में बातचीत कर रहे हैं। B ने A को C के बारे में कुछ नेगेटिव बात कही और चला गया। कुछ दिनों बाद, C, A के पास मदद माँगने आया और A ने मदद करने से मना कर दिया, क्योंकि उसे लगा कि C एक अच्छा व्यक्ति नहीं है। इस सबके लिए कौन जिम्मेदार था? B, जिसने A को C बारे में नेगेटिव बातें कहीं थीं, जिससे A का C के प्रति दृष्टिकोण बदल गया था। हमारे साथ यह सब कुछ, हमारे सोशल सर्कल में, हमारे कार्यालयों में या यहां तक कि हमारे परिवारों में भी हो सकता है। इसलिए ऐटिट्यूड मैटर्स। यह सभी रिश्तों का फॉउंडेशन स्टोन है। आइये, आने वाले दो दिनों के संदेशों में, इस पर विचार करते हैं।
(कल जारी रहेगा…)
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