
सही और स्पष्ट तरीके से परखना
हमारा जीवन किसी “यूज़र मैनुअल गाइड” के साथ नहीं आता कि, इसे कैसे और किस तरह से परफेक्टली जी सकते हैं और साथ ही, हमें
रमजान [23 मार्च से 21 अप्रैल] पर आध्यात्मिक संदेश
इस्लाम धर्म में; रमज़ान या रमदान के महीने का बहुत महत्व है, जिसमें हमारे इस्लामी भाई-बहन, 30 दिनों तक हररोज सूर्योदय से सूर्यास्त तक फास्टिंग यानि रोज़ा रखते हैं, जिसको बहुत ही पवित्र माना जाता है । रमजान का महीना खत्म होने के अगले दिन, ईद-उल-फितर मनाई जाती है। हम सभी जानते हैं कि, दुनिया के लगभग सभी धर्मों में उपवास रखना माना: स्वयं को आध्यात्मिक रूप से अपलिफ्ट करने की विधि है। आजकल बहुत से लोग यह कहते हैं कि हम मोबाइल, इंटरनेट, महंगी कार और घड़ियों, अच्छे कपड़े और अच्छा भोजन, एअर कंडीशनर, चाय- कॉफी, धूम्रपान और शराब आदि के बिना नहीं रह सकते। लेकिन उपवास के दिनों में हम अपनी मानसिक शक्ति, इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प शक्ति (जिनका हम आमतौर पर उपयोग नहीं करते हैं), इन सबके लिए भी जागरूक रहते हैं। फास्टिंग/ उपवास हमें एक अनुशासित दिनचर्या और इनर सेल्फ कन्ट्रोल करना सिखाता है जो हमें एवेयर करता है और आध्यात्मिक जागरूकता के मार्ग पर ले जाता है। साथ में, हम यह भी जान पाते हैं कि एक बार शक्तिशाली और दृढ़ संकल्प करने के बाद कुछ भी असंभव नहीं है। लेकिन समझने की बात यह है कि, जैसे हम शारीरिक स्तर पर उपवास रखते हैं, वैसे ही हम मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी इसे कर सकते हैं। यह निर्णय केवल हमारी इच्छाशक्ति (विलपावर) और आंतरिक स्थिति पर निर्भर करता है। और हम यह तय कर पाते हैं कि उपवास के दौरान और उसके बाद भी, हम हर स्थिति में और हर एक व्यक्ति के साथ: क्रोध के बजाय शांति और करुणा, घृणा के बजाय प्रेम और सहयोग, अहंकार के बजाय विनम्रता और दया को ही चुनेंगे।
हर धर्म में जब भी उपवास किया जाता है, तो वो केवल कुछ मिनटों या घंटों के लिए ही नहीं बल्कि कुछ दिनों या कुछ हफ्तों के लिए होता है, क्योंकि डीपर लेवेल पर अपने अंदर परिवर्तनों को महसूस करने, सराहने और उन्हें बनाए रखने में समय लगता है। किसी भी उपवास के दौरान अपने आंतरिक भाव/ मन पर ध्यान देना जरूरी है कि हम उपवास क्यों कर रहे हैं? क्या अपने धर्म की धारणा के अनुसार ऐसा कर रहे हैं या लोगों की देखा- देखी हम ऐसा करते हैं या इसलिए कि हम इसे सालों से एक रिचुअल की तरह करते आ रहे हैं या फिर अपने -अपने धर्म के इष्टदेव को खुश करने के लिए या फिर सजा के डर से बचने के लिए से हम ऐसा करते हैं। यदि हम इनमें से किसी भी कारण से उपवास करते हैं, तो स्वयं की चेकिंग कर, उसे एकऊन्चे लक्ष्य के साथ करें। स्वयं को याद दिलाएं, कि ऐसा करने से हमें परमात्मा से जुड़ने की शक्तियां मिलती हैं जिनसे हम अपनी कमजोरियों और दुर्गुणों को दूर कर स्वयं को प्यूर बनाते हैं । यदि हमारे मन में किसी के लिए कोई ठेस या नेगेटीव भावना है, तो अब क्षमा करने का समय है। हर धर्म क्षमा करने का संदेश सिखाता है। तो आइए, अपने- अपने धर्मों का पालन करते हुए, परमात्मा द्वारा दिया गया, क्षमा का सुंदर उपहार अपने समुदाय और सारी दुनिया में प्रेम और एकता को बढाने के लिए दें । आइए, न केवल अपने शरीर को शुद्ध करें बल्कि अपने मन को भी शुद्ध करें। हमारे धर्मों में उपवास की परंपरा इसलिए है कि यह हमें अपनी आत्मा की शुद्धिकरण के लिए, समय निकालने की याद दिलाता है।
हमारा जीवन किसी “यूज़र मैनुअल गाइड” के साथ नहीं आता कि, इसे कैसे और किस तरह से परफेक्टली जी सकते हैं और साथ ही, हमें
तीसरा दर्पण; आपके स्वयं के थॉट्स, बोल और कर्मों का दर्पण है, जो आप अपने और दूसरों के बारे में सोचते और महसूस करते हैं;
पिछले दो दिनों के संदेशों द्वारा; हमने आंतरिक सुंदरता के प्रथम दर्पण – आध्यात्मिक ज्ञान के दर्पण को जाना। हमारा दूसरा दर्पण है; योग का
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