
अपने जीवन में 6 प्रकार की संतुष्टता लाएं
क्या मैं स्वयं से संतुष्ट हूँ – जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वयं से, अपने संस्कारों से, अपने विचारों, शब्दों और कार्यों से तथा
हम आमतौर पर जीवन में सभी अच्छी चीजों के लिए आभार व्यक्त करते हैं, लेकिन हम शायद ही कभी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के लिए आभार व्यक्त करते हैं। कठिन से कठिन संघर्ष और गहरे से गहरे दुख के प्रति कृतज्ञ होना जरूरी है, क्योंकि वे कठिन अनुभव हमारे लिए लाभकारी होते हैं – या तो उनका परिणाम कुछ अच्छा होता है, या वे हमें आंतरिक रूप से मजबूत बनाते हैं। क्या आप किसी ऐसी स्थिति को याद कर सकते हैं जिससे निपटने के लिए आपको वास्तव में संघर्ष करना पड़ा हो? उस चुनौतीपूर्ण दौर से गुज़रते हुए, क्या आप क्रोधित, आलोचनात्मक, चिंतित, व्यथित या आहत हुए? और जब आपने इस मुद्दे को सफलतापूर्वक पार कर लिया, तो क्या आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए उस परिस्थिती के प्रति आभारी थे? हमें चुनौतियों को स्वीकार करने के बजाय, हर्ट फील करना , परेशान होना, अपने भाग्य को दोष देना या किसी और को दोष देना सामान्य लगता है। ये रिएकशंस हमारी एनर्जी को और कम करती हैं और परिस्थितियों का सामना करने की हमारी ताकत छीन लेती हैं। हमारी कमजोरी, समस्या को और बडा बना देती है। हमें अपनी वास्तविक क्षमताओं को पहचानने के लिए चुनौतियों का आभारी होना चाहिए।
जब हमारे जीवन में आने वाली समस्याएं हमें नई चुनौतियों का सामना करना सिखाती हैं तो हमें अपने कुछ ऐसे गुणों का पता चलता हैं जिसके बारे में हम जानते ही नहीं थे। हमारी सामना करने की शक्ति, सहन करने की शक्ति, एडजस्ट करने की शक्ति काम करने लगती है। कृतज्ञता/ आभार हमें आंतरिक रूप से मजबूत करता है, हमारी क्षमता को बढ़ाता है, हमें नकारात्मक एनर्जी से बचाकर, सकारात्मक एनर्जी को वाईब्रेट करने में हेल्प करता है। इसलिये आईये, कृतज्ञता प्रकट करके चुनौतियों को स्वीकार करें और उनका सम्मान करें। आपकी एनर्जी उन्हें प्रभावित करती है और आपको उन्हें स्थिरता के साथ पार करने में मदद करती है।
अपनी आंतरिक क्षमता दिखाने के लिए अपने मन को जीवन में प्रतिकूल परीस्थितियों के प्रति कृतज्ञ होना सिखाना शुरू करें। संतोष का अनुभव करें और परमात्मा को धन्यवाद दें कि आप कौन हैं और आपके पास क्या है? अपने जीवन में हर स्थिति का धन्यवाद करें। याद रखें कि हर सीन परफेक्ट होता है, वो वैसा ही हैं जैसा उसे होना चाहिए। हर सीन में जो भी कुछ हैं, उसका धन्यवाद करें। हर स्थिति को ऐसे स्वीकार करें जैसे आपने उसे चुना हो। समझें कि यह हमारे अभी या पिछले कर्मों का परिणाम है। यहां तक कि एक त्रासदी, एक आपदा, एक संकट के समय भी सीन को समझें, उस पर सवाल न उठाएं। समझें कि यह एकदम परफेक्ट और लाभकारी है। परिस्थितियाँ खराब हो सकती हैं, लेकिन आपकी मनःस्थिति अच्छी होनी चाहिए। तनाव, दर्द या डर को पैदा न होने दें। आपकी कृतज्ञता, स्थिति को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है और परिस्थिती को स्वीकार करने से आपका मन शांत हो जाता है। सही विचारों को चुनें, अपने अंदर की आवाज को सुनें। सही और अच्छे कर्म करके परिस्थिति को स्थिरता और गरिमा के साथ पार करें। अपने पिछले कर्मों के हिसाब किताब क्लिअर करने के अवसर के लिए आभारी रहें। साथ ही साथ इस अवसर द्वारा, अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने, उन्हें बढ़ाने, पहले से अधिक मजबूत होने के लिये और इससे मिली सीख से आगे बढने के लिये आभार प्रकट करें।
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