
सही और स्पष्ट तरीके से परखना
हमारा जीवन किसी “यूज़र मैनुअल गाइड” के साथ नहीं आता कि, इसे कैसे और किस तरह से परफेक्टली जी सकते हैं और साथ ही, हमें
होली भारत का एक सुंदर त्योहार है जो सभी उम्र और बेकग्राउंड के लोगों को एक साथ प्यार और एकजुटता के एक सुंदर बंधन में जोड़ता है क्योंकि हर व्यक्ति इस त्योहार को स्वच्छ दिल और बहुत उमंग-उत्साह के साथ मनाता है। होली सभी को आनंद और मौज में ले आती है माहौल बहुत ही उत्सवी और खुशनुमा होता है, फिर भी हम में से कुछ यह भी सोचते हैं कि होली के उत्सव के दौरान हम जो विभिन्न चीजें करते हैं उसके अंदर की गहराई क्या है?
होली, परमात्मा द्वारा आत्मा को, अपने 7 सुंदर आध्यात्मिक गुणों – शांति, आनंद, प्रेम, आनंद, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान से रंगने का एक प्रतीक है, वह इन गुणों का महासागर है, और हम आत्मायें उनके बच्चे मास्टर सागर हैं। तो जब हम इन आत्मिक गुणों के रंग एक दूसरे पर छिड़कते हैं तो हम दोनों ही खुशी और अच्छाईयों से भर जाते हैं, और यह भगवान के साथ और एक- दूसरे के साथ हमारे आध्यात्मिक बंधन को बढ़ाता है। परमात्मा द्वारा आत्मा को रंगे हुए, प्रत्येक गुण का रंग/ अर्थ बहुत गहरा है और यह हमारे लिए और दूसरों के लिए जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है। साथ ही, जब हम परमात्मा के करीब हो जाते हैं, तो हम अपने जीवन में पवित्रता या निर्विकारता (vice lessness) को धारण कर लेते हैं और दूसरों को भी परमात्मा से जोड़कर पवित्र या निर्विकारी बनने में मदद करते हैं। उसी के प्रतीक के रूप में, लोग होली पर सफेद कपड़े, जो देवत्व और पवित्रता को दिखाते हैं, पहनते हैं।
होली का एक अर्थ है – हो-ली माना जो बीत गया। होली पर हर व्यक्ति अपने पुराने मतभेदों को भूल एकजुट हो जाता है और उनके वाईब्रेशन्स शुभ भावना और शुभकामना से भरे होते हैं। हो-ली का और अर्थ यह भी है कि मैं पूरी तरह से परमात्मा के प्रति समर्पण करता हूं और अपने जीवन की यात्रा को उनकी इच्छा के अनुसार चलाता हूं, और अपने मन में कोई प्रश्न और कोई संदेह नहीं रखता जिसकी मदद से मैं अपने सभी विचारों, बोल, कर्मों और संबंधों में परफेक्ट फील करता हूं। होली का उत्सव समाप्त होने के बाद, हर कोई अपने रंग साफ करता है, लेकिन त्योहार की पोजीटीव यादें अपने साथ संजो कर रखता है। यह इस बात का प्रतीक हैं कि हम परमात्मा से आत्मिक गुणों का रंग लगाते हैं और आध्यात्मिक ज्ञान को सुनने और मेडीटेशन का अभ्यास करने से और उन्हें दूसरों के साथ शेअर कर उन्हें भी आत्मा के नेचुरल गुणों से रंगने में उनकी मदद करते हैं। आत्मिक गुणों से रंगी आत्मा के वाईब्रेशन जब सामने वाले को महसूस होते हैं तो वो उस आत्मा के भी स्वाभाविक संस्कार बन जाते हैं। आत्मिक गुणों के यह संस्कार आत्मा में कई जन्मों तक रहते हैं और आत्मा परमात्मा के साथ अपने आध्यात्मिक और पवित्र जीवन के लाभों का अनुभव करती रहती है।
हमारा जीवन किसी “यूज़र मैनुअल गाइड” के साथ नहीं आता कि, इसे कैसे और किस तरह से परफेक्टली जी सकते हैं और साथ ही, हमें
तीसरा दर्पण; आपके स्वयं के थॉट्स, बोल और कर्मों का दर्पण है, जो आप अपने और दूसरों के बारे में सोचते और महसूस करते हैं;
पिछले दो दिनों के संदेशों द्वारा; हमने आंतरिक सुंदरता के प्रथम दर्पण – आध्यात्मिक ज्ञान के दर्पण को जाना। हमारा दूसरा दर्पण है; योग का
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