
गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक महत्व (भाग 3)
श्री गणेश का बड़ा पेट समाने की शक्ति को दर्शाता है, जिसका अभिप्राय है कि, हमें लोगों की कमजोरियों और उनके गलत कार्यों के बारे
एक बहुत ही सामान्य प्रश्न जो हजारों वर्षों से लोग पूछते आ रहे हैं कि क्या हमारी नियति (भाग्य) पहले से ही तय है या हम इसे बदल सकते हैं? जब भी हम अपने जीवन में किसी कठिन परिस्थिति का सामना करते हैं तो हम अक्सर सोचते हैं कि क्या यह हमारे पिछले जन्मों में किए गये कर्मों का परिणाम है या फिर पिछले जन्मों के उन नेगेटीव कर्मों के हमारे इस जन्म पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया या फिर रोका जा सकता है? तो, हम क्या करें और कहाँ से शुरू करें? सबसे पहले, हमें इस बात को गहराई से समझने की आवश्यकता है कि सभी मनुष्यात्माओं ने, अपने पिछले कई जन्मों में पोजिटीव के साथ-साथ कुछ नेगेटीव कर्म भी किए हैं, लेकिन ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि, कुछ आत्माओं ने कम और कुछ ने अधिक नेगेटीव कर्म किए हैं । तो, परिणामस्वरूप, आज दुनिया में हर कोई अपने जीवन में, किसी न किसी नेगेटीव स्थिति का सामना कर रहा है। आमतौर पर, दुनिया में सब समझते हैं कि हमारी नियति लिखने वाला परमात्मा है और हमारे जीवन में होने वाला अच्छा या बुरा, उन्हीं के द्वारा तय किया जाता है। लेकिन परमात्मा द्वारा दिए गए आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार, यह मान्यताएं सही नहीं है । परमात्मा हमारे जीवन में आने वाली परिस्थितियों को तय नहीं करते हैं। हमारे जीवन में आने वाले अच्छे पल, हमारे पास्ट में किए गये अच्छे कर्मों के परिणाम होते हैं और साथ ही साथ, कुछ परिस्थितियों में परमात्मा की मदद भी अवश्य मिलती है, परंतु हर समय ऐसा संभव नहीं। ऐसे ही, हमारे जीवन में आने वाली नेगेटीव परिस्थितिएं, हमारे द्वारा पास्ट में किए गये गलत कर्मों का ही परिणाम होती हैं, नाकि परमात्मा हमें दंडित करते हैं ।
इसलिए, हम सभी का भाग्य व नियति हमारे पिछले कर्मों के आधार पर होता है। लेकिन, हम परमात्मा के मार्गदर्शन और उनके द्वारा दिए गए आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार, तीन तरीकों के द्वारा अपने वर्तमान को बदल सकते हैं: – 1. मेडीटेशन के द्वारा, परमात्मा को याद करने से और उनके आध्यात्मिक ज्ञान को सुनने से; आत्मा अपने पिछले नेगेटीव कर्मों के बोझ से मुक्त होकर शुद्ध बनती है । 2. कर्मेंद्रियो द्वारा पोजिटीव कर्म करें, जो आत्मा को सात मूल गुणों – सुख, शांति, प्रेम, आनंद, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान से भरने के साथ, दूसरों को भी आप समान गुणवान बनाएगा । 3. पांच मुख्य विकार – काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार आदि से मुक्त होकर मन, वाणी और कर्म से शुद्ध जीवन व्यतीत करें । और जब हम ये तीन स्टेप फालो करते हैं तो आत्मा शुद्ध होकर अच्छाई और दातापन के पोजिटीव संस्कार धारण करती है । आत्मा के अंदर होने वाले ये परिवर्तन उसके भाग्य को बदलकर, जीवन में अधिक पोजिटीव और सुंदर परिस्थितियों को आकर्षित करते हैं और नेगेटिवीटी को पोजिटिवीटी में बदल, आने वाले जन्मों को भी सकारात्मकता और सफलता से भरपूर बनाते हैं।
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हम सभी “श्री गणेश” के आगमन और जन्म को बड़ी आस्था और उत्साह के साथ मनाते हैं, और उनसे अपने जीवन के विघ्नों को नष्ट
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