आइए समझें कि, परमात्मा को ओमनीप्रेजेंट या सर्वव्यापी क्यों नहीं कह सकते हैं (भाग 2)

आइए समझें कि, परमात्मा को ओमनीप्रेजेंट या सर्वव्यापी क्यों नहीं कह सकते हैं (भाग 2)

  1. परमात्मा यदि सर्वव्यापी होते, तो हमारी दुनिया खुशी से भरपूर होती, जोकि सच नहीं- परमपिता परमात्मा अच्छाई और दिव्यता का सागर है, जिसे वह लगातार रेडीएट करते रहते है। अगर दुनिया में हर किसी के दिल में और भौतिक तत्वो में परमात्मा होते, तो सभी मनुष्य केवल अच्छे कर्म ही करते और इस दुनिया में पाप, बुराइयां और लोगों में  बुरी आदतें नहीं होतीं। सभी लोग सद्भाव के साथ रहते, उनके बीच सद्भावना और शांति होती, क्योंकि वे सभी परमात्मा की तरह होते। साथ ही, हमारी पांच तत्वो से बनी प्रकृति, किसी भी प्रकार की अशांति और आपदाओं से पूरी तरह मुक्त होती, क्योंकि कण-कण में परमात्मा होते। लेकिन हम सभी ये जानते हैं कि ये सच नहीं है|
  2. यदि परमात्मा हमारे हृदय में निवास करते तो, हम उनकी खोज नहीं करते और नाहि शांति, प्रेम, आनंद और शक्ति के लिए उन्हें पुकारते – हमने हजारों वर्षों से उन्हें शांति, प्रेम, आनंद और शक्ति की प्राप्ति के लिए उन्हें पुकारा है और हमेशा उन्हें अपने बाहर ही ढूढा है, उन्हें महसूस करने के लिए आकाश की ओर देखा है। तो अगर वे हम सबके अंदर रहते, तो हम ऐसा नहीं करते। हम उनका ज्ञान, गुणों और शक्तियों को अपने अंदर महसूस करते हैं, और अपनी चेतना में उनसे बात भी करते हैं। और ऐसा करते हुए हम उनके अपने निकट होने का एहसास भी करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि, वह दुनिया के हर इंसान में, हर जानवर, पक्षी और कीडे-मकोडो के साथ-साथ हर जगह मौजूद हैं।
  3. परमात्मा एक सर्वोच्च दाता है, यदि वह प्रत्येक मनुष्य में होते तो, वे वैसे नहीं होते- परमात्मा सभी गुणों और शक्तियों का सागर है, और वह मनुष्य जगत और संपूर्ण ब्रह्मांड में अपनी इन गुणों और शक्तियों को निरंतर फैलाते रहते है। अगर वह प्रत्येक मनुष्य में होते, तो वह स्वयं भी एकशन-रिएकशन तथा कर्मो का फल प्राप्त करने की प्रक्रिया में आते। साथ ही, अब वह दाता न रहकर और मनुष्यो की तरह इच्छा, चाहना रखने वाले और मांगने वाले बन जाते। साथ ही, यदि वे हम सभी में होते, तो वह हमारी तरह ही प्रकृति के भौतिक तत्वों के प्रभाव में भी आते, लेकिन हम सब जानते हैं, कि वह कभी भी ऐसा नहीं करते हैं।

नज़दीकी राजयोग सेवाकेंद्र का पता पाने के लिए

15th feb 2025 soul sustenence hindi

संबंधों को सुंदर बनाएं, अहंकार को त्यागें (भाग 1)

क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।

Read More »
14th feb 2025 soul sustenence hindi

विश्वास रखें और सफलता प्राप्त करें

क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।

Read More »
13th feb 2025 soul sustenence hindi

स्वयं को नियंत्रित करने की कला में निपुण बनें

क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।

Read More »