
सराहे जाने और आलोचना किए जाने पर स्टेबल रहें
आत्मिक स्थिरता सिखाती है कि न तारीफ में खोएं, न आलोचना से दुखी हों। जानें अध्यात्मिक दृष्टिकोण से स्थिर और शांत रहने के उपाय।
February 1, 2025
जब भी आप दिन की शुरुआत करें, तो अपने चारों ओर हर चीज़ और हर व्यक्ति को देखें और गहराई से महसूस करें कि मेरी शिक्षा, मेरी योग्यता, मेरी संपत्ति और मेरी भूमिका; वास्तव में यह सब मेरा नहीं है। यह सब इसलिए है क्योंकि आप सबसे पहले शांति, प्रेम और खुशी से भरपूर एक आत्मिक चेतना हैं, जो भौतिक नहीं है। हमारी संपत्ति, रिश्ते, लोग और यहां तक कि हमारा शरीर भी भौतिक है जिसे हमने बाद में प्राप्त किया है। आत्मा (जो गैर भौतिक है), शरीर को नियंत्रित करती है, जबकि शरीर केवल इस जीवन तक सीमित है, लेकिन आत्मा अनंत है।
खुशी वह चीज़ है जिसकी हम सभी को तलाश है। साथ ही, हम शांति और प्रेम भी ढूंढते हैं। लेकिन, जब तक हमारी चेतना केवल भौतिक चीजों पर केंद्रित रहती है, यह तीनों भावनाएँ (खुशी, शांति, प्रेम) स्थायी रूप से अनुभव नहीं की जा सकतीं, क्योंकि भौतिक चीजें अस्थायी (ज्यादा दिन तक न चलने वाली व अस्थिर हैं, बदलने वाली हैं)। कभी आपके रिश्ते अच्छे होंगे, तो कभी उनमें समस्याएं आएंगी। कभी कार्यस्थल पर सब कुछ ठीक होगा, तो कभी काम का दबाव और अधूरे कार्य आपको परेशान कर देंगे। कभी आपका शरीर स्वस्थ रहेगा, तो कभी बीमारी के कारण आप अपनी आंतरिक शांति और संतुलन खो देंगे। जीवन उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है। लेकिन जब आपकी चेतना आत्मा (आंतरिक अस्तित्व) पर केंद्रित होती है, तो आप हर समय शांत, प्रेमपूर्ण और खुश रहते हैं। इसका कारण यह है कि आपकी शांति, प्रेम और खुशी का आधार स्थायी और अटल होता है। जब आप अपने आंतरिक अस्तित्व को अर्थात आत्मा को अपनी पहचान मानते हैं, तो बाहरी परिस्थितियाँ आपको प्रभावित नहीं करतीं हैं। ये परिस्थितियाँ आती-जाती रहेंगी, लेकिन आप स्थिर और शांत रहेंगे क्योंकि आप स्वयं शांति, प्रेम और खुशी के स्रोत हैं। इन भावनाओं से आपका हर अनुभव भरपूर हो जाएगा और बाहरी चीजें अब आपकी खुशी, शांति और प्रेम का आधार नहीं बनेंगी।
(कल जारी रहेगा…)
आत्मिक स्थिरता सिखाती है कि न तारीफ में खोएं, न आलोचना से दुखी हों। जानें अध्यात्मिक दृष्टिकोण से स्थिर और शांत रहने के उपाय।
सच्चा प्रेम तब आता है जब हम स्वयं से और परमात्मा से जुड़े होते हैं। निस्वार्थ प्रेम हमारे मन को शांति और आत्मिक शक्ति देता है।
‘मैं करूँगा’ कहें, ‘मैं कोशिश करूँगा’ नहीं। सोच और शब्दों की पॉजिटिव एनर्जी सफलता को आकर्षित करती है। आज से अपने शब्द बदलें।
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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