रिश्तों में कटाक्ष (ताने) देने की आदत से बचें
जब हम भावनात्मक रूप से आहत या दुखी होते हैं, तो हम अक्सर दूसरों को ताने वा कटाक्ष मारते हैं ताकि हम खुद को बेहतर
January 25, 2024
भगवान व ईश्वर ही परमात्मा हैं तथा संसार की सभी आत्माओं के परमपिता हैं। वह शांति, प्रेम और आनंद के सागर हैं। आज पूरे विश्व में शांति, प्रेम और आनंद की कमी है और हर प्राणी परमात्मा की ओर आस लगाए बैठा है कि, वह सभी मनुष्यों को एक साथ लाएंगे और सभी के जीवन को शांति, प्रेम और आनंद से भर देंगें। आजकल अनेक प्रकार की भिन्न-भिन्न नकारात्मक परिस्थितियाँ इस संसार को और संसार में रहने वाले लोगों को परेशान कर रही हैं। हम जितना अधिक वैज्ञानिक प्रगति कर रहे हैं, हमारा जीवन उतना ही अधिक जटिल और टेक्नोलॉजी पर आधारित होता जा रहा है जिसके कारण हमारे संस्कारों, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ, हमारे रिश्तों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। आज हमारे पास इन सबसे निकलने का कोई रास्ता नहीं है और हर किसी को लगता है कि, परमात्मा के अलावा किसी और के पास इसका समाधान नहीं है। परमात्मा एक विश्व प्रतिनिधि है जो पूरे विश्व पर नज़र रखता है और जब परिस्थितियों में सुधार की आवश्यकता होती है, तो वह इसमें हस्तक्षेप करके जो सबसे अच्छा और जरूरी होता है वो करता है।
वर्तमान समय में, परमात्मा एक नई दुनिया की स्थापना करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं और इस कार्य के लिए उन्हें मनुष्यों और उनके मन, वचन, कर्म के साथ-साथ उनके तन, मन और धन की सहायता की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमात्मा निराकार व अशरीरी हैं और आत्माओं की दुनिया में रहते हैं जबकि अन्य सभी मनुष्य आत्माएं पृथ्वी ग्रह पर, विश्व नाटक मंच पर अपनी भूमिकाएं निभा रही हैं। भौतिक संसार में मनुष्य अपने लाभ और दूसरों के लाभ के लिए कार्य करते हैं। इसलिए परमात्मा मनुष्यों को निमित्त बनाकर अपना कार्य कराते हैं। इसके लिए, हम आध्यात्मिक ज्ञान और मेडिटेशन के अभ्यास द्वारा खुद को जितना शुद्ध बनाते जाते हैं, उतना ही अधिक हम उनके कार्य में मददगार बनते हैं, और न केवल परमात्म कार्य में सहयोगी बनकर हम अपने जीवन में खुशियाँ भरते हैं, बल्कि इस विश्व की लाखों-करोड़ों आत्माओं के जीवन में अच्छाई, सकारात्मकता और सफलता लाने के निमित्त बनकर सभी के जीवन को सुंदर बनाते हैं।
जब हम भावनात्मक रूप से आहत या दुखी होते हैं, तो हम अक्सर दूसरों को ताने वा कटाक्ष मारते हैं ताकि हम खुद को बेहतर
नवरात्रि (3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर) की रस्में हमारी दिव्यता को जगाने के बारे में बहुत कुछ कहती हैं। आइए, नवरात्रि के आध्यात्मिक अर्थ को
हर स्तर पर खुशी का अनुभव तब किया जा सकता है जब हमारा जीवन सुंदर रिश्तों के खजाने से भरपूर हो। आपके सबसे नजदीकी व्यक्ति
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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