आत्मा और उसके द्वारा किए जाने वाले काम का अहसास होना (भाग 3)

June 5, 2024

आत्मा और उसके द्वारा किए जाने वाले काम का अहसास होना (भाग 3)

जब भी आप सुबह उठें तो अपने आप से कहें कि, मैं एक स्पिरिचुअल एनर्जी हूं जो फिजिकल शरीर से बिल्कुल अलग है और यह 5 भौतिक तत्वों से बनी हुई नहीं है। जबकि भौतिक शरीर इन्हीं तत्वों से बना हुआ है। ह्यूमन बीइंग शब्द का शाब्दिक अर्थ है; मानव+अस्तित्व, जहां मानव का अर्थ है ह्यूमस या मिट्टी, जोकि निर्जीव है और बीइंग का अर्थ है आध्यात्मिक ऊर्जा, जोकि सजीव या जीवित है। इसे ही आत्मबोध या सच्चा सेल्फ रियलाईजेशन कहा जाता है। इसे सोल कांशियस भी कहते हैं। इसका मतलब यह रियलाइज करना है कि मैं एक आत्मा हूं और मैं अपनी दैनिक दिनचर्या में और योग करते समय भी इस बात का एहसास करती हूं। इसका मतलब यह नहीं है कि, मैं कर्म करना और अपने काम और अन्य जिम्मेदारियों पर ध्यान देना बंद कर दूं। बल्कि मैं उन सभी कर्तव्यों का पालन करता हूँ और उन्हें करते समय मुझे यह एहसास रहता है कि मैं एक आत्मा हूँ और इसका सही अर्थ है कि, आत्मा के स्वरूप और गुणों को अनुभव करना। आत्मा का कोई फिजिकल स्वरूप नहीं है, क्योंकि आत्मा एक नॉन फिजिकल एनर्जी या लाइट है। लेकिन यहां लाइट का मतलब यह नहीं है कि उसे हम इन आंखों से देख सकते हैं। यह एक ऐसी नॉन फिजिकल लाइट है, जोकि आकार में बहुत ही छोटी है और जिसे मैग्निफाइंग ग्लास या माइक्रोस्कोप की मदद से भी देखा नहीं जा सकता। 

 

ब्रह्माकुमारीज़ संस्था में, योग के समय विजुवलाइजेशन तकनीक के द्वारा आत्मा को समझना आसान करने के लिए, हम अपनी भौंहों के मध्य में और मस्तक के केंद्र में, आत्मा को सूक्ष्म प्रकाश के एक सितारे के रूप में अनुभव करते हैं। लेकिन आत्मा का वास्तविक स्थान ब्रेन के अंदर है, जैसा कल के संदेश में बताया गया था। आत्मा बाहर के संसार को इन आँखों से देखती है, कानों से सुनती है और मुख द्वारा बोलती है, ये सभी आत्मा द्वारा किये जाने वाले मुख्य कार्य हैं। इसके अलावा स्पर्श करना, सूंघना और स्वाद लेना इत्यादि अन्य इंद्रियों द्वारा आत्मा अपनी स्थिति में स्थित होकर ही करती है। आत्मा के रियल गुण; शांति, आनंद, प्रेम, सुख, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान हैं, जो आत्मा द्वारा किए गए कर्मों के आधार पर बदलते रहते हैं। यदि आत्मा सकारात्मक कर्म करती है तो ये गुण बढ़ते जाते हैं और नकारात्मक कर्म होने पर ये गुण कम होते जाते हैं।

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18 June 2025 Soul Sustenance Hindi

दूसरों के साथ ऊर्जा के लेन-देन को बेहतर बनाएं (भाग 3)

हम हर दिन ऊर्जा का लेन‑देन करते हैं—विचार, भावनाएँ, कर्म। अगर इसमें आध्यात्मिक समझ और प्रेम शामिल करें, तो रिश्तों की गुणवत्ता सुधरती है। लेकिन अधिक लगाव से अपेक्षाएं बनती हैं, जो दुख और तनाव लाती हैं। सीखें संतुलन से जुड़े रहना।

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