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October 21, 2024
माँ, आज रात के खाने में क्या बना रही हो? कुछ स्वादिष्ट बनाओ ना! बच्चे अक्सर अपनी माँ से खाने के मेन्यू की फ़रमाइश करते रहते हैं और माँ भी अक्सर खाना बनाने का काम जल्दी पूरा करने और अपने बच्चों व परिवार के अन्य सदस्यों की खाने की इच्छाओं को पूरा करने के लिए सदा तत्पर रहती हैं। दिन के अंत में, सबका भोजन बनाकर थकी माँ अक्सर आराम करती हैं, क्यूँकि भोजन बनाने की बारीकियों में वे अपनी बहुत सारी एनर्जी लगा चुकी होती हैं- जैसेकि सब्जियों में नमक और मसालों की सही मात्रा, तेल, दालें, आटा और चावल आदि। वे इस बात का ध्यान रखती हैं कि खाना ठीक तरह से बने और उसमें कोई कमी न रह जाए। उनका उद्देश्य, परिवार के सभी सदस्यों को संतुष्ट करना और साथ ही परिवार की शुभकामनाओं को प्राप्त करना है। फिर भी, इस सकारात्मक पारिवारिक वातावरण के बावजूद, नकारात्मक सूक्ष्म ऊर्जा कहीं भीतर छिपी रहती है, जो कभी-कभी भोजन को आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाने से रोकती है, फिर भले ही वह खाने में कितना ही स्वादिष्ट क्यूँ न हो।
प्यार और शुद्ध ऊर्जा से भरपूर भोजन न केवल स्वस्थ होता है, बीमारियों को ठीक करता है बल्कि आध्यात्मिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से शांति भी देता है। इसका कारण यह है कि हमारे भौतिक शरीर और गैर भौतिक मन के बीच एक सूक्ष्म संबंध होता है, जिससे दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। आपने सुना होगा कि माँ द्वारा बनाए गए भोजन का स्वाद एक नौकरानी द्वारा बनाए गए भोजन से बेहतर होता है, ऐसा क्यों? क्योंकि दोनों के खाना पकाने के उद्देश्य की पवित्रता में भिन्नता होती है। एक माँ अपने परिवार के प्रति प्रेम में डूबी होती है, जबकि नौकरानी अपने खाना बनाने के काम को कमाई के रूप में देखती है, जो उसे कभी-कभी कठिन लगता है। माँ जिस उच्च उद्देश्य से भोजन पकाती है, वो उनके द्वारा बनाए गए भोजन की गुणवत्ता और उसकी हर बाइट में न दिखाई देनी वाली समाहित ऊर्जा द्वारा रिफलेक्ट होती है। इसलिए भोजन हमेशा पवित्रता और प्रेम की भावना से पकाना चाहिए, जो किसी भी प्रकार के निर्भरता, आसक्ति और भय से मुक्त हो और सकारात्मकता से पूर्ण हो।
(कल जारी रहेगा…)
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