22nd oct 2024 soul sustenence hindi

October 22, 2024

आध्यात्मिक वाइब्रेशन के साथ भोजन बनाएं और खाएं (भाग 2)

भोजन बनाते समय, स्वयं को एक सुंदर सृष्टिकर्ता के रूप में अनुभव करें, जो भोजन को पवित्र ऊर्जा से तैयार कर रहा है, और ये ऊर्जा हमारे मन और शरीर के लिए दिव्य पोषण का कार्य करती है। खाना बनाते समय यह न सोचें कि रोज़ाना खाना बनाने का बोरिंग और कठिन कार्य करना पड़ता है। इसके बजाय खाना बनाते समय अपने मन में यह संकल्प करें और इसका नियमित अभ्यास करें- मैं प्रकृति द्वारा दिए गए खाद्य पदार्थों से भोजन बना रही हूँ। परमात्मा की याद से, अपनी सुन्दर आंतरिक स्थिति बनाएं और भोजन में परमात्मा की पवित्र ऊर्जा जा रही है; ऐसे श्रेष्ठ संकल्प क्रिएट करें। जब आप और अन्य सभी लोग इस प्रकार से बनाए गए भोजन का सेवन करते हैं तो आत्मा और शरीर दोनों को लाभ मिलता है। 

 

इस प्रकार भोजन बनाना, प्रकृति द्वारा दिए गए तत्वों के प्रति प्रेम और सम्मान व्यक्त करना है। भले ही  प्रकृति के तत्व शाश्वत हैं, लेकिन जब ये तत्व अशुद्ध हो जाते हैं, तो सिर्फ परमात्मा ही उन्हें पवित्र कर उनके मूल रूप में लौटाते हैं। वे प्रकृति को अपवित्र से पवित्र करते हैं। जब ये तत्व अपने मूल रूप में पवित्र होते हैं, तो वे आत्मा और शरीर दोनों को ही पवित्र ऊर्जा प्रदान करते हैं। लेकिन आजकल, प्रदूषण, गैस उत्सर्जन, वनों की कटाई, ओजोन परत का क्षरण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण ये सभी तत्व अशुद्ध हो गए हैं। साथ ही, गलत तरीकों से उगाए गए फल-सब्जियों के उपयोग से भी यह तत्व अशुद्ध हो जाते हैं। और इसके अलावा सूक्ष्म स्तर, आध्यात्मिक स्तर पर भी ये तत्व अशुद्ध हो गए हैं। इसके पीछे का कारण, मनुष्यों के मन में चल रहे अपवित्र और अशांत भावनाओं भरे विचार हैं। इसलिए भोजन को खाने से पहले उसे शुद्ध करना अति आवश्यक है।

(कल जारी रहेगा…)

नज़दीकी राजयोग सेवाकेंद्र का पता पाने के लिए

[drts-directory-search directory="bk_locations" size="lg" style="padding:15px; background-color:rgba(0,0,0,0.15); border-radius:4px;"]