26th nov 2024 soul sustenence hindi

November 26, 2024

अहंकार को ठेस पहुंचना (भाग 1)

लगभग हर दिन हम ऐसी स्थितियों का सामना करते हैं जब कोई हमसे कुछ ऐसा कहता है जो हमें अच्छा नहीं लगता, या हम उसे अच्छा नहीं मानते हैं। दोनों ही स्थितियों में, हमें अपमानित महसूस होता है और हम परेशान हो जाते हैं। कुछ मामलों में हम अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हैं और प्रतिक्रिया देते हैं जबकि कुछ मामलों में नहीं। दोनों ही परिस्थितियों में, नतीजा यह होता है कि हमारी खुशी कम हो जाती है। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि हमने अपने मन में अपने बारे में एक छवि बना रखी होती है, जिससे हम जुड़े रहते हैं और उसे अपनी पहचान मानते हैं। लेकिन, जब किसी और का नजरिया आपकी इस छवि से मेल नहीं खाता, तो आपको लगता है कि आपका अपमान हुआ है और आप परेशान हो जाते हैं।

 

जब तक लोगों का आपके प्रति नजरिया आपके मन में बनाई हुई छवि से मेल खाता है, तब तक आप उनसे संतुष्ट रहते हैं। लेकिन जैसे ही यह नजरिया थोड़ा भी अलग होता है, आप विचलित हो जाते हैं क्योंकि आप उस छवि से जुड़े हुए हैं। तो स्वयं की इस इमेज़ से जितना अधिक जुड़ाव होगा, उतना ही अधिक ठेस और नकारात्मक प्रतिक्रिया पैदा होगी। आप इस प्रक्रिया को रोज़ अपने अंदर बारीकी से देख सकते हैं। ऊपर बताई गई इस तरह के लगाव की भावना को “अहंकार” कहा जाता है। यही कारण है कि ऊपर बताई प्रक्रिया को सामान्य भाषा में अहंकार को ठेस पहुंचना कहा जाता है। 

 

कल के संदेश में हम इस प्रक्रिया को एक उदाहरण के साथ और स्पष्ट करेंगे।

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18 march 2025 soul sustenance hindi

नकारात्मक विचारों को आध्यात्मिक शक्ति से बदलना (भाग 3)

आंतरिक शक्ति विकसित करने के लिए दृढ़ संकल्प और सकारात्मक सोच जरूरी है। जानिए कैसे संस्कार बदलकर, मेडिटेशन और ईश्वर से जुड़कर अपनी आत्मशक्ति को मजबूत बनाएं।

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