अपने बिलीफ को चेक करें और चिंता पर काबू पाएं (भाग 2)

September 17, 2023

अपने बिलीफ को चेक करें और चिंता पर काबू पाएं (भाग 2)

कल के संदेश में आप सबने जाना कि, चिंता करने से किस प्रकार मन और बुद्धि की सकारात्मक और रचनात्मक क्षमता प्रभावित होती है। दूसरी ओर, जब हम पॉसिबल पॉजिटिव रिज़ल्ट की आशा करते हैं, सोचते हैं तो ऐसा करने से रिजल्ट नेगेटिव होने की संभावना खत्म हो जाती है (भले ही उसके होने की कितनी भी संभावना क्यूं न हो), बल्कि पॉजिटिव रिज़ल्ट भी हमारी तरफ आकर्षित होते हैं, लेकिन ये दोनों प्रॉसेस हों; ऐसा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि, इनके साथ पॉसिबल नेगेटिव रिजल्ट को न जोड़ा जाए, यहाँ तक कि, अपने मन और बुद्धि में इसका सूक्ष्म विचार भी न आए। वरना रिएलिटी में पॉजिटिव फ्यूचर बनने की संभावना कम हो जाती है। और चिंता इस लगाव के प्रॉसेस का  ही एक रूप है।

चिंता एक तरह की मानसिक आदत है, जो इस बिलीफ़ से पैदा होती है कि, चिंता करना अच्छा है, नॉर्मल है। और हम बचपन से ही इसे फॉलो करने लगते हैं और फिर ये हमारे जीवन के अनुभवों द्वारा मजबूत होता जाता है। इसलिए जब हम इस बिलिफ के साथ शुरुआत करते हैं, तो वह नकारात्मक परिस्थितियों को आकर्षित करता है। जिसके परिणामस्वरूप, हमारा ये विश्वास और भी मजबूत हो जाता है, क्योंकि हम सोचते हैं कि, जीवन इतनी नकारात्मक परिस्थितियों से भरा हुआ है तो नकारात्मक परिणामों के बारे में पहले से सोचना कोई गलत बात नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, ये नकारात्मक परिस्थितियाँ मुख्यतः इसी बिलिफ़ के कारण पैदा होती हैं। और इसी बिलिफ़ को मानते मानते, जब भी हमारे जीवन में हम किसी नकारात्मक स्थिति का सामना करते हैं, तो हम चिंतित होना नॉर्मल समझकर, अपने उसी विश्वास पर कायम रहते हैं। फिर से, इसका  वही परिणाम होता है और इस तरह से हम एक विशियस साइकिल में फंसते जाते हैं। तो हमे ये सोचना होगा कि, हम इस साइकिल से बाहर कैसे आएं? अपनी इस धारणा को बदलकर – कि चिंता करना अच्छा नहीं है। लेकिन यहां ये समझना भी जरूरी है कि, अगर हम अपनी सोच व धारणा बदलते हैं तो इसका मतलब नहीं है कि,  हमारे जीवन में नकारात्मक परिस्थितियाँ आना पूरी तरह से बंद हो जाएँगी, इस बात की कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि हमने अपने पिछले कई जन्मों में पास्ट में कई नकारात्मक कर्म किए हैं, जिनका हिसाब किताब हमें इस जन्म में ही क्लियर करना होगा, लेकिन हमारे जीवन में नकारात्मक परिस्थितियों का आना कम जरूर हो जाएगा। और अगर हमारे पास चिंता न करने का संस्कार होगा तो वे परिस्थितियां जल्दी ही हमारे जीवन से दूर हो जाएंगी।

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