अपने मन के राजा बनें और शासन करें (भाग 2)

October 29, 2024

अपने मन के राजा बनें और शासन करें (भाग 2)

क्या मैं एक कमजोर राजा (आत्मा) हूँ या एक शक्तिशाली राजा? यह वह सवाल है जो प्रत्येक व्यक्ति को दिन के अंत में अपने आपसे पूछना चाहिए। हर रात अपने राज्य की अदालत में अपने मंत्रियों यानि कि अपने विचारों और भावनाओं से सच्चे दिल से बात करें। यहां लोग या प्रजा आपके दृष्टिकोण, अभिव्यक्तियों, शब्दों और कर्म को दर्शाती है। ये दरबार इसलिए भी लगाना जरूरी होता है ताकि विचारों और भावनाओं रूपी मंत्रियों के दैनिक आचरण की रिपोर्ट की जांच की जा सके। जैसे राज्य के मंत्री होंगे, वैसी ही प्रजा होगी (जैसा कि ऊपर बताया गया)। राज्य को व्यवस्थित रखने के लिए एक सकारात्मक राजा, मंत्रियों और प्रजा को प्रतिदिन राज्य में आने वाले विभिन्न नकारात्मक दृश्यों और परिस्थितियों पर सही ढंग से प्रतिक्रिया देना सिखाता है। यह एक राजा के कर्मों में उसकी आध्यात्मिक शक्तियों को दर्शाती है।  

 

अपने मंत्रियों और प्रजा को सही प्रतिक्रिया देने हेतु प्रशिक्षित करने के लिए, एक शक्तिशाली राजा दिन की शुरुआत में और दिन भर में समय-समय पर मन को सकारात्मक विचार देता है। ये विचार शांति के होते हैं जैसे; मैं अपनी स्थिरता बनाए रखता हूँ और हर स्थिति का शांतिपूर्ण तरीके से सामना करता हूँ; मैं अपने स्टेबल माइंड पर फ़ोकस रखता हूँ और दूसरों की सकारात्मक क्रियाओं को ही देखता हूँ; मैं बाहरी परिस्थितियों के और आंतरिक दबावों से नाता तोड़ लेता हूँ। और प्रेम के विचार जैसे; मैं एक सकारात्मक स्रोत हूँ और दूसरों को सदा श्रेष्ठ भावनाएं और शुभकामनाएँ देता हूँ; मैं दूसरों की ताकत और विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करता हूँ और उनका सम्मान करता हूँ; मैं दूसरों की अच्छाइयों से प्रेरणा लेता हूँ और अपनी विशेषताओं को दूसरों तक पहुँचाता हूँ। साथ ही, आनंद के विचार जैसे; मैं हल्का महसूस करता हूँ और दूसरों को भी हल्कापन अनुभव कराता हूँ; मैं उत्साह के पंख फैलाता हूँ और हर समय खुशी में उड़ता हूँ; मैं हर व्यक्ति से मिलकर उन्हें मुस्कान और अच्छाई का संदेश देता हूँ। और शक्ति के विचार जैसे; मैं हर कदम और जीवन के हर क्षेत्र में सफल हूँ; मैं अपने हर कार्य में दृढ़ संकल्प की शक्ति का उपयोग करता हूँ; मैं अपनी आध्यात्मिक शक्ति से अपने मार्ग में आने वाली बाधाओं को नष्ट करता हूँ। इस प्रकार के सकारात्मक विचार मेरे मन, भाव और भावनाओं, जो मेरे राज्य के मंत्री हैं, और मेरे दृष्टिकोण, अभिव्यक्तियों, शब्दों और कार्यों, जो मेरे राज्य की प्रजा हैं, को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे। यह कैसे होता है? इसका विस्तार हम कल के संदेश में करेंगे।

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