अपने व्यक्तित्व में सत्यता लाएं (भाग 1)

April 10, 2024

अपने व्यक्तित्व में सत्यता लाएं (भाग 1)

हमारे जीवन का एक बहुत सुंदर पहलू; जिसे हम सभी पर्याप्त महत्व नहीं देते-वो है हमारे शब्दों और कर्मों में सत्यता। अधिकतर हमारे विचारों में झूठे इरादे छिपे होते हैं जोकि हमारे शब्दों और कर्मों से विपरीत होते हैं। इसके अलावा कभी-कभी लोग जानबूझकर अपने रियल व्यक्तित्व से अलग व्यक्ति और स्वभाव होने का दिखावा भी करते हैं। पर ऐसी कौन सी चीज है जो लोगों को जैसे हैं, वैसा दिखाने से रोकती है? इसके पीछे एक कारण; तो संसार का भय या फिर अंदर और बाहर से अलग होना उनके व्यक्तित्व की विशेषता भी हो सकती है। इसके साथ ही यह काफी आश्चर्य भरा भी हो सकता है कि, ऐसे व्यक्ति अपना अलग-अलग चेहरा संसार को दिखाएं, जिसके बदले में उन्हें लोगों से कम या अधिक सम्मान मिले। हम सभी ने भी ऐसा महसूस व अनुभव जरूर किया होगा? लेकिन देर-सवेर लोग ये समझ जाते हैं और जज कर लेते हैं कि, हम झूठ बोल रहे हैं या उन पर कई चीजों का गलत प्रभाव डाल रहे हैं। और ऐसा करने वाला व्यक्ति अपनी विश्वसनीयता और सम्मान दोनों ही खो देता है।

 

इसलिए, एक झूठे व्यक्तित्व को धारण करने से कई गुना बेहतर है कि, हम अपने सत्यता के साथ रहें। साथ ही, लोगों को रिझाने के लिए विशेषताओं का प्रदर्शन करना, उन नकली आभूषणों की तरह है जो दिखने में तो बहुत सुंदर लगते हैं पर उनका कोई मूल्य नहीं होता है। इसलिए हमें अपने गुणों और विशेषताओं को अपने दिल में संजोना चाहिए नाकि अपने दिमाग में। इसका मतलब यह है कि, संसार को दिखाने के लिए अच्छा न बनें, अगर आप वास्तविक रूप में इतने अच्छे नहीं हैं। इसके विपरीत, स्वयं को अंदर से इतना अच्छा बनाएं कि, लोग आपको आपकी विशेषताओं के लिए पसंद करें। इसके लिए हमें हमेशा यह याद रखना होगा कि, हमारे चारों तरफ के लोग, इस बात को जज करने में बहुत तेज़ हैं कि, हम अच्छे होने का दिखावा कर रहे हैं या सच में एक बहुत अच्छे इंसान हैं। इसलिए अपने नकली गुणों का दिखावा न करके, अपने दिल की गहराईयों से अच्छाईयों को अभिव्यक्त करें, जिससे आप पाएंगे कि, लोग आपको इस बात के लिए बहुत-बहुत प्यार करेंगे। 

(कल जारी रहेगा)

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