अपने व्यक्तित्व में सत्यता लाएँ (भाग 2)

April 11, 2024

अपने व्यक्तित्व में सत्यता लाएँ (भाग 2)

परमात्मा सत्यता के सागर हैं और सबसे श्रेष्ठ व्यक्तित्व के स्वामी हैं। साथ ही, उनका व्यक्तित्व अति शुद्ध है और पारदर्शित है, जिसमें हम एक भी त्रुटि या दोष नहीं ढूँढ सकते हैं। इसके पीछे का कारण ये है कि, उनकी विशेषताएं सागर के समान अत्यंत गहरी हैं। परमात्मा के साथ हम बहुत ही सहज होते हैं क्योंकि हमारे लिए उनका प्यार सच्चा है, जिसमें कोई भी दिखावा और मिलावट नहीं है। ठीक इसी प्रकार, हमें भी परमात्मा की तरह एक ऐसा व्यक्तित्व धारण करना है जहां हम संसार से कुछ भी न छुपाएं और सबके प्रति सच्चे और शुद्ध रहें। जितना अधिक हमारे स्वभाव में पारदर्शिता होगी, उतना अधिक लोग हमारे करीब आएंगे और सहज महसूस करेंगे।

 

साथ ही साथ, हमारी विशेषताएं भी लोगों की नजर में आएं और हम उनके लिए एक गुणवान व्यक्ति के रूप में चर्चा का विषय रहें। हमारे वास्तविक गुण; प्रेम, मधुरता, विनम्रता और संतुष्टता के कारण ही लोग हमारे करीब आते हैं। हमें ये भी कोशिश करनी है कि, हम अपने इन गुणों और विशेषताओं को किसी भी परिस्थिति में न बदलें और न ही कम होने दें। क्या आपने ये नोटिस किया है कि, जब आप अलग-अलग व्यक्तित्व के लोगों के साथ होते हैं तो आपकी कोई एक विशेषता बदल जाती है? किसी एक व्यक्ति के साथ आप ज्यादा विनम्र होते हैं जबकि दूसरे के साथ नहीं। एक स्थिति में आपका स्वभाव ज्यादा मीठा होता है और दूसरे में नहीं। इसका मतलब ये है कि आपमें विशेषताएं तो हैं पर उनमें उतनी सच्चाई और गहराई नहीं है। एक सच्ची आत्मा वही है जिसकी विशेषताएं खरे सोने की तरह हैं। दूसरे लोग ऐसी आत्मा को एक चमकते हुए आईने की तरह अनुभव कर पाते हैं, जिसमें वे अपनी कमी-कमजोरी को देख और महसूस कर सकते हैं और साथ ही उनकी तरह गुणवान बनने के लिए इंस्पायर भी होते हैं। इसे ही एक सच्चा व्यक्तित्व होना कहा जाता है।

(कल जारी रहेगा)

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