13th jan 2025 soul sustenence hindi

January 13, 2025

ब्रह्माकुमारीज का 7 दिवसीय कोर्स (भाग 1)

हम सभी आध्यात्मिक विद्यार्थी हैं, जो हर रोज परमात्मा से आध्यात्मिक ज्ञान का अध्ययन करते हैं और योग का अभ्यास करते हैं। योग; परमात्मा के साथ एक आध्यात्मिक संबंध या जुड़ाव है। इन दो आध्यात्मिक पहलुओं ने हमारे जीवन को सुंदर और आनंदमय बना दिया है। वर्तमान समय में, जब परमात्मा दुनिया के परिवर्तन का कार्य कर रहे हैं और इसे स्वर्ग या सुंदर जन्नत बना रहे हैं, वे हमें अपनी पवित्रता, ज्ञान और शक्तियों से यह दो उपलब्धियां प्रदान कर रहे हैं। इन उपलब्धियों से हमारे संस्कार पवित्र और परिपूर्ण बनते हैं, और हमारी चेतना दिव्य हो जाती है। वे हमें इस परिवर्तन के मार्ग को दिखाते हैं। लेकिन हम इस मार्ग पर चलना कैसे शुरू करें? इसका आरंभ कहां से होता है? ब्रह्माकुमारीज में, हम अपने आध्यात्मिक सफर की शुरुआत एक 7 दिवसीय परिचयात्मक आध्यात्मिक कोर्स से करते हैं। यह कोर्स हमें आध्यात्मिक ज्ञान और योग की विधि के विभिन्न पहलुओं को समझाता है।

 

कोर्स के पहले दिन, हम समझते हैं कि हम वास्तव में एक आध्यात्मिक ऊर्जा या आत्मा हैं, न कि यह भौतिक शरीर। जैसे एक ड्राइवर कार चलाता है, वैसे ही मैं आत्मा इस शरीर को चलाती हूं और शरीर के विभिन्न अंगों जैसे मस्तिष्क, आंख, कान, जीभ, नाक, हाथ और पैर के माध्यम से कार्य करती हूं। मैं एक अचेतन ऊर्जा हूं, जिसमें तीन मुख्य तत्व हैं: मन-जो सोचता और महसूस करता है, बुद्धि-जो निर्णय लेती है, ज्ञान को आत्मसात करती है और कल्पना करती है। संस्कार-जो हमारे आंतरिक व्यक्तित्व को बनाते हैं। मेरा असली स्वरूप एक दिव्य प्रकाश का है, जिसे भौतिक आंखों से नहीं देखा जा सकता। मेरे मूल गुण; शांति, आनंद, प्रेम, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान हैं। मेरे ये गुण, जन्म और पुनर्जन्म के चक्रों में पार्ट बजाते हुए खो जाते हैं। यहां हम यह भी सीखते हैं कि हमारा मूल और शाश्वत आध्यात्मिक घर; परमधाम या निर्वाणधाम है, जिसे शांति धाम भी कहते हैं। इस कोर्स द्वारा विश्व नाटक की समझ, पृथ्वी पर हमारे विभिन्न जन्मों और चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग) में हम अपने पात्रों को समझते हैं। किसी भी आत्मा द्वारा लिए जाने वाले अधिकतम जन्म 84 हैं। हम यह भी समझते हैं कि आत्मा केवल मानव शरीर में ही जन्म लेती है और अन्य प्रजातियों जैसे पशु, पक्षी या कीड़े के रूप में नहीं। हम जानते हैं कि शुरुआत के जन्मों में हम देवी-देवता थे, न कि बंदर या अन्य प्राणि जैसा कि सभी मानते हैं। हमारे जन्म और पुनर्जन्म के चक्रों ने हमें आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक शुद्धता से दूर कर दिया। हमने देवी-देवताओं की पूजा करना तब शुरू की जब हमने अपने दिव्य गुण, आध्यात्मिक शुद्धता और आत्म-चेतना को खो दिया। यह कोर्स, हमें आत्मा की वास्तविकता, उसके मूल गुणों और परमात्मा के साथ जुड़ने का मार्ग दिखाता है।

(कल जारी रहेगा …)

18 march 2025 soul sustenance hindi

नकारात्मक विचारों को आध्यात्मिक शक्ति से बदलना (भाग 3)

आंतरिक शक्ति विकसित करने के लिए दृढ़ संकल्प और सकारात्मक सोच जरूरी है। जानिए कैसे संस्कार बदलकर, मेडिटेशन और ईश्वर से जुड़कर अपनी आत्मशक्ति को मजबूत बनाएं।

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