14th jan 2025 soul sustenence hindi

January 14, 2025

ब्रह्माकुमारीज का 7 दिवसीय कोर्स (भाग 2)

ब्रह्माकुमारीज का 7 दिवसीय परिचयात्मक कोर्स हमें यह सिखाता है कि, हम कैसे परमात्मा को समझ सकते हैं और उनसे जुड़ सकते हैं। जब हम यह जान लेते हैं कि उनका आध्यात्मिक स्वरूप भी हमारी तरह  दिव्य प्रकाश का है, जिसे भौतिक आंखों से नहीं देखा जा सकता, तब यह समझ आसान हो जाती है। परमात्मा, सभी मानव आत्माओं के आध्यात्मिक पिता और सर्वोच्च आत्मा हैं। वे दिव्य आत्माओं व देवात्माओं के भी पिता हैं, जैसे श्री राधे कृष्ण, श्री लक्ष्मी नारायण, श्री राम सीता और प्रसिद्ध धार्मिक धर्म संस्थापकों और संतों के भी, जैसे अब्राहम, बुद्ध, ईसा मसीह, मोहम्मद, महावीर, शंकराचार्य और गुरु नानक। उन्हें अलग-अलग धर्मों और क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसेकि गॉडफॉदर, भगवान, ईश्वर, शिव, अल्लाह, खुदा और यहोवा। वे एकमात्र आत्मा हैं जो कभी भी मानव शरीर में जन्म नहीं लेते और सदा आत्मा-चेतन और पवित्र रहते हैं। अन्य सभी आत्माएं, चाहे वे दिव्य आत्माएं हों या देवी-देवता, भौतिक रूप लेती हैं और मानव शरीर में जन्म लेती हैं। 

 

सात दिन के कोर्स में हम सीखते हैं कि परमात्मा सात गुणों के सागर हैं: शांति, आनंद, प्रेम, पवित्रता, सुख, ज्ञान और शक्ति। वे इन गुणों में सदा स्थिर रहते हैं और कभी भी इन्हें नहीं खोते क्योंकि वे भौतिक जन्म और मृत्यु के चक्र में नहीं आते। हम यह भी समझते हैं कि उनका आध्यात्मिक घर कहाँ है, वह आत्माओं के घर; परमधाम या निर्वाणधाम में रहते हैं, जो सभी मानव आत्माओं का भी शाश्वत घर है। साथ ही, हम सीखते हैं कि कैसे परमात्मा को उनके घर में याद करें और उनकी दिव्य उपस्थिति को महसूस करें? कोर्स द्वारा हम यह भी जान पाते हैं कि वे विश्व नाटक में क्या महत्वपूर्ण कार्य करते हैं? वे कलियुग (आयरन एज) को सतयुग (गोल्डन एज) में बदलते हैं। वे मनुष्यों को, जो काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या और नफरत जैसे दुर्गुणों से भरे होते हैं, दिव्य आत्माओं या देवी-देवताओं में बदलते हैं। वे हमें दिव्य गुणों और सुंदर विशेषताओं से भरपूर करते हैं जिससे हमारा जीवन शुद्धता, शांति, प्रेम और आनंद से भर जाता है।

(कल जारी रहेगा …)

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