30th nov 2024 soul sustenence hindi

November 30, 2024

दिव्य आत्मा के 12 गुण (भाग 1)

 

1.ज्ञान का प्रतीक: एक दिव्य आत्मा, परमात्मा के ज्ञान की मूर्ति होती है और पूरी तरह से नकारात्मक और व्यर्थ विचारों से मुक्त होती है।

 

2.शुद्ध और निर्दोष: वह पूरी तरह से शुद्ध और दोषरहित होती है और परमात्मा के पवित्र विचार और भावनाएँ, उसकी सोच और भावनाओं को निरंतर प्रभावित करते हैं।

 

3.समय के तीनों पहलुओं का ध्यान: वह हर दिव्य कर्म करते समय समय के तीनों पहलुओं; भूत, वर्तमान और भविष्य का ध्यान रखती है और हर कार्य में सफलता प्राप्त करती है।

 

4.विचारों का प्रभाव: एक दिव्य आत्मा अपने विचारों को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है जिससे वास्तविक जीवन में आसानी से सफलता मिलती जाती है। 

 

5.कम और सशक्त विचार: उसके विचार कम, सकारात्मक होते हैं और सटीकता और हिम्मत से भरपूर होते हैं। यही विचार अन्य आत्माओं और प्रकृति तक पहुँचते हैं और उनमें और संसार में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

 

6.दूरदर्शी दृष्टि: उसकी दृष्टि, दूरदर्शी होती है। वह चारों युगों- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग के अतीत को स्पष्ट रूप से देख और अनुभव कर सकती है। साथ ही, वह अनुभव करती है कि उसने इन सभी युगों में विभिन्न शरीरों द्वारा भूमिकाएँ निभाई हैं और इसे वह अपनी कहानी के रूप में गहराई से महसूस करती है।

(कल जारी रहेगा …)

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