26th jan 2025 soul sustenence hindi

January 26, 2025

दूसरों के बारे में सोचने की चिंता से बाहर कैसे निकलें? (भाग 2)

  1. सकारात्मक सोच और भाग्य पर ध्यान दें – आध्यात्मिक ज्ञान का एक महत्वपूर्ण पहलू है; अपने भाग्य को सकारात्मक बनाना। इसका मतलब है एक ऐसा जीवन बनाना, जिसमें अंदर और बाहर दोनों तरह की उपलब्धियाँ हासिल हों। जब हम अपनी सोच को सकारात्मक, शक्तिशाली और आध्यात्मिक गुणों पर आधारित करते हैं, तब हमारा भाग्य बदलता है। जो आत्मा इस जीवन के उद्देश्य को समझ लेती है, वह अपने दिनभर के हर कार्य को सही तरीके से और परमात्मा के मार्गदर्शन के अनुसार कार्य करती है। ऐसी आत्मा यह नहीं देखती कि लोग उसके बारे में क्या सोच और बोल रहे हैं? वह इसे समय और ऊर्जा की बर्बादी मानती है।

 

  1. सब को संतुष्ट करें और अपने रिश्तों का बोझ परमात्मा पर छोड़ दें – जीवन के सफर में सब को खुश करना और संतुष्ट रखना मुश्किल जरूर है पर नामुमकिन नहीं है। यह हमारे सकारात्मक चरित्र और जीवनशैली से हो सकता है। लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि कुछ लोग हमारी उम्मीद के मुताबिक संतुष्ट नहीं होते। ऐसा उनके संस्कारों, सोचने के तरीके और कभी-कभी हमारे अंदर की कुछ कमियों के कारण होता है। यह भी हो सकता है कि हमारे इस जन्म या पिछले जन्मों के नकारात्मक कर्मों के कारण कुछ आत्माओं के साथ हमारे रिश्ते अच्छे न हों। ऐसे मामलों में हमें उनके नकारात्मक विचारों का बोझ परमात्मा पर छोड़ देना चाहिए। ऐसा करने से हम सकारात्मक बने रहते हैं और परमात्मा हमें हमारी संतुष्टि के लिए अलग-अलग तरह से मदद करते हैं।

 

  1. सेवा में व्यस्त रहें और सबकी दुआएं लें – जब आप बहुत से लोगों से मिलते हैं, तो सेवा में व्यस्त रहना बहुत ज़रूरी है। हर आत्मा को परमात्मा के ज्ञान, गुण और शक्तियों की ज़रूरत होती है। दूसरों से यह उम्मीद करने के बजाय कि वे आपके बारे में अच्छा सोचें, आप अपने विचारों, शब्दों, कर्मों और ऊर्जा से उनकी सेवा करें। जब आप दूसरों को कुछ न कुछ देते रहते हैं, तब आप भूल जाते हैं कि लोग आपके बारे में क्या सोच रहे हैं। साथ ही, आप भी उन्हें वैसे ही देखना शुरू कर देते हैं जैसे परमात्मा उन्हें देखते हैं बिना किसी भेदभाव और प्रेम से।
18 march 2025 soul sustenance hindi

नकारात्मक विचारों को आध्यात्मिक शक्ति से बदलना (भाग 3)

आंतरिक शक्ति विकसित करने के लिए दृढ़ संकल्प और सकारात्मक सोच जरूरी है। जानिए कैसे संस्कार बदलकर, मेडिटेशन और ईश्वर से जुड़कर अपनी आत्मशक्ति को मजबूत बनाएं।

Read More »