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दूसरों के दर्द को आत्मसात् न करें… खुशियाँ फैलाएं

August 5, 2024

दूसरों के दर्द को आत्मसात् न करें… खुशियाँ फैलाएं

हमें हमेशा सिखाया जाता है कि किसी को भी दर्द या दुख न दें। यह गलत है। इसलिए हम अपने कर्म और लोगों के साथ बातचीत में सावधान रहते हैं। लेकिन एक और महत्वपूर्ण कौशल जिसे हमें सीखना चाहिए, वह है दूसरों से दर्द या दुख न लेना। लोगों के दर्द को एब्सोर्ब करना उतना ही हानिकारक है जितना कि उन्हें दर्द देना। आप एक धर्मपरायण जीवन जीते हैं। आपने कभी जानबूझकर लोगों को दर्द नहीं दिया। लेकिन, क्या आपने अनजाने में लोगों से दर्द लिया है? जिसका मतलब है, क्या आप किसी को दुखी देखकर दुखी हो जाते हैं? या जब कोई ऐसा व्यवहार करता है जिसे आप स्वीकृत नहीं करते, तो क्या आप असहज महसूस करते हैं? किसी को दर्द न देना महत्वपूर्ण है, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है कि हम किसी का दर्द न लें। हमारे आस-पास के लोग भावनात्मक दर्द में हैं। वे असुरक्षित, ईर्ष्यालु, क्रोधित या डरे हुए हैं। चूंकि उन्होंने अपने दर्द को हील नहीं किया है, इसलिए वे अपने व्यवहार से हमें भी ये एनर्जी रेडिएट करते हैं। दरअसल वे बीमार हैं और जानबूझकर हमें नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। यदि हम उन्हें चोटिल देखते हुए दुखी होते हैं, तो हम दर्द को अवशोषित करते हैं। यदि हम उनके व्यवहार पर प्रश्न करते हैं और विरोध करते हैं, तो भी हम दर्द को अवशोषित करते हैं। हमारी जिम्मेदारी यह है कि हम भावनात्मक रूप से अलग रहें, स्थिर रहें और उन्हें समझें। इसके लिए स्वीकृति की एनर्जी रेडिएट का करें और उनका समर्थन करें। जो लोग दर्द में हैं उनके लिए एक मजबूत देखभालकर्ता बनें, बजाय कि उनके भावनात्मक इंफेक्शन से एफेक्टेड होने के।

 

हर दिन खुद को याद दिलाएं कि, आप एक खुशहाल प्राणी हैं। जीवन के हर दृश्य में हर दिन शांत और सहज रहें। किसी से अपेक्षाएँ न रखें और खुशी की तलाश न करें बल्कि खुशी और आनंद के प्रसारक बनें। आपके हर शब्द और व्यवहार से लोगों को आशीर्वाद मिले। प्रत्येक व्यक्ति अपनी प्रकृति के आधार पर अपनी भूमिका निभा रहा है। कुछ लोग एक पिछले भावनात्मक घाव के कारण दर्द में हैं, कोई अस्वस्थ है, किसी के रिश्ते में समस्याएँ हैं, किसी के काम पर समस्याएँ हैं। वे सभी दर्द में हैं, और उनके व्यवहार उनके दर्द को दर्शाते हैं। उनके कार्यों को एक अलग पर्यवेक्षक के रूप में देखें। उनके दर्द को आत्मसात न करें और ना ही खुद को आहत करें और ना ही सवाल करें। न दर्द दें और न दर्द लें। उनके थॉट प्रॉसेस, दृष्टिकोण और दर्द को समझें। साथ ही, उन्हें समझें, स्वीकार करें, स्थिर रहें और हर दृश्य में खुश रहें। जब आपकी खुशियों की तरंगें उन तक पहुँचती हैं, तो आपकी ऊर्जा उन्हें ठीक करती है। ऐसे में, लोगों की भावनाओं में न उलझने से, आपकी स्थिरता उनके लिए चिकित्सा बन जाती है। 

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