दूसरों को अपनी इमोशनल स्टेट को डॉमिनेट न करने दें

May 24, 2024

दूसरों को अपनी इमोशनल स्टेट को डॉमिनेट न करने दें

हम सभी ने कभी न कभी, चाहे अपनी पर्सनल या फिर प्रोफेशनल लाइफ में, खुद को एक ऐसी स्थिति में पाया होगा जहां दूसरे लोग हमें डॉमिनेट करते हैं या नेगेटिव तरीके से नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। उस नेगेटिव एनर्जी का एक बहुत ही सामान्य उदाहरण; हमारे किसी न किसी व्यक्तिगत और अव्यक्तिगत संबंध से है कि, जब कोई व्यक्ति हमसे नाराज होकर हमें डॉमिनेट करता है और हमें रिएक्ट करवाने में या फिर उदास करने में सफल हो जाता है। एक समय के बाद, वो ये महसूस करने लगता है कि  उसके पास आपको कंट्रोल करने का एक अदृश्य और शक्तिशाली रिमोट कंट्रोल है जिसका उपयोग करके वो जब चाहे हमें नियंत्रित कर सकता है या कुछ करके वह हमसे नाराज हो जाता है और इस तरह से जो भी वो हासिल करना चाहता है उसमें सफल हो जाता है। उनका क्रोध ही उनका रिमोट कंट्रोल बन जाता है। इसलिए जब हम रिएक्ट करते हैं, तो हम दूसरे व्यक्ति को वो रिमोट दे देते हैं जिससे वे हमें कंट्रोल करते हैं। ऐसे में, हम खुद प्रभावित होना और दूसरों द्वारा डॉमिनेट होना चुनते हैं। यहां ये समझना जरूरी है कि, वे हम ही हैं जो दूसरों द्वारा नियंत्रित और डॉमिनेट होने का चुनाव करते हैं या फिर बिना किसी रिएक्शन में आए, जैसा हम महसूस करते हैं उसे एक्सप्रेस करने के साथ ही उनके प्रति प्यार, सम्मान और शुभकामनाएं बनाए रखें।

 

आइए, खुद को दूसरों के द्वारा डॉमिनेट और बाहरी सत्ताएं; यानि कि लोग और चीज़ें, उनके प्रभाव से खुद को बचाएं, नहीं तो हम अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को खो देंगे। जब हम दूसरे व्यक्ति के रिमोट कंट्रोल को सफलतापूर्वक कार्य करने देते हैं और ऐसा करके हम खुद को आंतरिक रूप से कमज़ोर करते हैं। दूसरे व्यक्ति के हाथों की कठपुतली बन कर रह जाते हैं। एक कठपुतली कभी भी शक्तिशाली नहीं होती क्यूंकि वो खुद से कार्य नहीं करती है बल्कि किसी दूसरे के द्वारा नियंत्रित होती है। अगर हम अपनी एनर्जी को बचाना चाहते हैं और आध्यात्मिक रूप से मजबूत होना चाहते हैं तो हमें इसे रोकना होगा। मेडिटेशन और आध्यात्मिक ज्ञान, दोनों ही हमारी आध्यात्मिक शक्ति के साथ-साथ हमारे आत्मसम्मान को भी बढ़ाते हैं। ये दोनों हमें खुद को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं और साथ ही न सिर्फ दूसरे के रिमोट कंट्रोल के कार्य को असफल बनाते हैं बल्कि खुद भी आक्रामक न होकर जरूरत पड़ने पर खुद के लिए खड़े हो पाते हैं।

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