
क्या सोशल मीडिया पर लाइक करना मायने रखता है?
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February 8, 2025
अक्सर हम अपनी जिंदगी में लोगों की सेवा करते हैं जिन्हें हम जानते हैं या नहीं भी जानते हैं। क्योंकि सदा देते रहना और सेवा करना हमारी नैचुरल विशेषताएँ हैं। हर कोई हमेशा दूसरों को शारीरिक आराम नहीं दे सकता। लेकिन भावनात्मक सहारा देने की कोई सीमा नहीं होती। आज दुनिया में सभी लोग, क्षमा, खुशी और प्रेम की तलाश में हैं…. तो क्या हम दूसरों की सेवा करने के लिए तैयार हैं? हम ऐसे लोगों को जानते हैं जो पुराने कड़वे अनुभवों को भुलाकर दूसरों को माफ कर सकते हैं जैसेकि कुछ हुआ ही नहीं था। वे समझते हैं कि दुख उनकी अपनी ही रचना है, उनका खुद का रेस्पॉन्स है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ये कहते हैं कि मैं कभी माफ नहीं करूंगा या भूलूंगा नहीं कि उन्होंने क्या किया था। ऐसे लोग अपने अतीत की अप्रिय यादों को बार-बार जीते हैं। इससे उनके स्वास्थ्य और रिश्तों पर गहरा असर पड़ता है। हमें यह देखना चाहिए कि, कहीं हम न चाहते हुए भी स्वयं ही नफरत, दुख या द्वेष को पकड़े हुए हैं?
आइए, इसे एक उदाहरण से समझें: किसी व्यक्ति ने नारियल बेचने वाले से पूछा कि क्या आप मुझे एक दिन के लिए कुछ नारियल उधार दे सकते हैं? मैं शाम तक आपको वापस लौटा दूंगा। उस दुकानदार ने जवाब दिया: अगर आप चाहें, तो मैं आपको कम दाम पर नारियल बेच सकता हूँ, लेकिन मैं उधार नहीं दे सकता। उस व्यक्ति को नारियल किसी कार्यक्रम के लिए सजावट के लिए चाहिए थे नाकि खाने के लिए। लेकिन फिर भी दुकानदार ने मना कर दिया। इसी तरह से हम अक्सर दुकानदार की तरह व्यवहार करते हैं। रिश्तों में लेन-देन करने लगते हैं। हम हर चीज़ के बदले में कुछ चाहते हैं – प्यार के बदले प्यार, खुशी के बदले खुशी। लेकिन जब सामने वाला व्यक्ति हमें वो नहीं दे पाता जो हम उनसे चाहते हैं, तो हम हर्ट होते हैं। और ये हर्ट हमारी सकारात्मक ऊर्जा को रोकती है, जो हम दूसरों को देना चाहते हैं। इसके अलावा, हम दूसरों को उम्मीद और चाहनाओं की ऊर्जाएं भी पहुँचाते हैं। हम दूसरों से शांति, प्रेम और सम्मान मांगते हैं। लेकिन हमें ये समझना होगा कि जिन लोगों के संस्कार, जीवन की परिस्थितियाँ और प्राथमिकताएँ अलग हैं, वो हमेशा हमें वो नहीं दे सकते जो हमें चाहिए। हमें सही समझ और सहानुभूति रखते हुए मांगने वाले की बजाय देने वाला बनना होगा।
(कल जारी रहेगा…)
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