10th feb 2025 soul sustenence hindi

February 10, 2025

दूसरों को देने वाले बनें (भाग 3)

अपनी अच्छाईयों को यूज़ करें या फिर खो दें

दूसरों को देने का स्वभाव उन लोगों में स्वाभाविक रूप से आ जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा के असीम स्रोत; परमात्मा से अच्छाई की ऊर्जा प्राप्त करते हैं। क्योंकि इस ऊर्जा के बिना, देने वाला बनना कठिन हो सकता है। हम अपने आस-पास ऐसे कई लोगों को पाते हैं जिनका जीवन दूसरों की सेवा के लिए ही होता है। वे अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल इच्छाओं को पूरा करते हुए भी दूसरों की मदद करते हैं। वे अपने सभी कार्यों को निभाते हुए भी सबके प्रति प्यार और देखभाल को बनाए रखते हैं। उनका हर विचार, शब्द और कार्य प्यार से भरपूर होता है। 

 

वे कहते हैं – जो पाना चाहते हो, वो दूसरों को दो। प्यार चाहिए? दूसरों को प्यार करो। प्रशंसा चाहिए? लोगों की प्रशंसा करो। ऐसा इसलिए है क्योंकि जो ऊर्जा हम दूसरों को देते हैं, वही सबसे पहले हमें वापस मिलती है। हर कोई देने की शक्ति को आज़मा सकता है। भले ही हमारे जीवन में कोई समस्या हो, और अगर हमारा अहंकार हमें रोकने की कोशिश करे या लोग हमें ऐसा करने से रोकें, फिर भी अच्छाई करना हमारा अपना निर्णय होता है। हम अपनी पूरी ज़िंदगी दूसरों की प्यार और खुशी के साथ सेवा करते हुए बिता सकते हैं। जब हम हमारी मदद करने वाले व्यक्ति को प्यार देते हैं, या गुस्से वाले व्यक्ति के साथ धैर्य रखते हैं, तब हम उन्हें कुछ ऐसा देते हैं जो उनके पास नहीं है। यह ऊर्जा न सिर्फ उन्हें शांति देती है, बल्कि हमें सशक्त भी बनाती है। परन्तु, जब हम अपनी अच्छाईयों का उपयोग नहीं करते, तब हम इस ऊर्जा को खो देते हैं। आज पूरी दुनिया शांति और शक्ति देने वालों को ढूंढ रही है। हम केवल शांत रहकर ही शांति दे सकते हैं। इस मौन का मतलब चुप रहना नहीं, बल्कि अपने मन को अनावश्यक विचारों से मुक्त रखना है। सकारात्मक और कम विचार क्रिएट करने वाला व्यक्ति स्वाभाविक रूप से दूसरों तक शांति की ऊर्जा पहुंचाता है। हम दूसरों को अपनी दृढ़ता और मेहनत से शक्तियां दे सकते हैं। इससे वे प्रेरित तो होंगे ही साथ ही स्वयं को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करेंगे। आइए, अपनी आत्मा की मूल विशेषताओं और आंतरिक शक्तियों को पहचानें और दूसरों के लिए ताकत का स्तंभ बनें। अपनी आध्यात्मिकता को गहराई दें और बिना शर्त अच्छाई बांटने वाले बनें।

18 march 2025 soul sustenance hindi

नकारात्मक विचारों को आध्यात्मिक शक्ति से बदलना (भाग 3)

आंतरिक शक्ति विकसित करने के लिए दृढ़ संकल्प और सकारात्मक सोच जरूरी है। जानिए कैसे संस्कार बदलकर, मेडिटेशन और ईश्वर से जुड़कर अपनी आत्मशक्ति को मजबूत बनाएं।

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