
जीवन में किया गया हर कर्म – चाहे वह अच्छा हो या बुरा – हमारे व्यक्तित्व, आत्मा की गहराई और परमात्मा से जुड़ाव को दर्शाता है। सही कर्म का चुनाव
March 26, 2025
हम सभी नियमित रूप से ‘मैं बहुत व्यस्त हूं…मेरे पास समय नहीं है’, ऐसी शब्दावली का हर दिन उपयोग करते हैं और यह मानसिकता हमें समयानुसार काम करने या फिर काम को मेनेज करने नहीं देती है। हम जीवन के हर क्षेत्र में जरूरत से ज्यादा कमिटमेन्ट शो करते हैं, लेकिन उसके अनुसार काम कम करते हैं। बिजी/ व्यस्त शब्द एक कमजोर एनर्जी है और ये बताती है कि, हम जीवन के सुंदर क्षणों का आनंद लेने में अपनी असमर्थता जताते हैं। यही व्यस्तता हमें समय बचाने, समय बर्बाद करने और लगातार कार्य में लगे रहने को लेकर तनावग्रस्त कर देती है। केवल व्यस्त..व्यस्त..व्यस्त… कहने मात्र से; भले ही हमारा शेड्यूल हमें कुछ घंटों की फुर्सत की अनुमति देता हो, लेकिन हम इसका उपयोग अपनी या दूसरों की देखभाल के लिए नहीं कर पाते हैं। हम लोगों को बुलाते हैं- पर उनसे मिलते नहीं, हम बोलते हैं- पर उनकी सुनते नहीं, हम संपर्क में रहते हैं- पर जुड़ना नहीं चाहते हैं। आज हम सभी के ऊपर बहुत सी जिम्मेदारियां, प्रेशर व अपेक्षाएं हैं। लेकिन इसका मतलब हम हमेशा व्यस्त रहें, ये जरूरी नहीं है। हम शांत और प्रसन्न रहकर भी प्रतिदिन 16 घंटे काम कर सकते हैं। तो आइए, यह कहना शुरू करें कि, मैं ईज़ी हूं, मेरे पास हर चीज के लिए समय है। ईज़ी शब्द की पोजीटिव और कम्फर्टींग एनर्जी हमें शांत, फोकस्ड और कार्य कुशल बनाए रखती है। तब हमें समय नहीं चाहिए होगा, बल्कि हमारे पास समय ही समय होगा।
आजकल बहुत सारे प्रोफ़ेशनल या गृहिणियां जो दिन में 14 घंटे आराम से काम करते हैं। और स्कूल जाने वाले बच्चे; जो कहते हैं कि, मैं बहुत व्यस्त हूं, जल्दी करो, मेरे पास समय नहीं। आजकल सभी को बिजी-बिजी कहने की आदत पड गई है। लेकिन क्या हम जानते हैं कि, जब हम इसे यूज करते हैं और अपनी शब्दावली में जोड़ते हैं, तो हम यह मेसेज देते हैं कि, हमारे पास मेनेज करने के लिए बहुत कुछ है और लोगों के लिए हमारे पास समय नहीं है। ईज़ी या बिजी होना; आपके मन की अलग-अलग अवस्थाओं की ओर इशारा करता है। आप कितना काम करते हैं, इससे उसका कोई लेना-देना नहीं है। अपनी व्यस्तता को ईज़ीनेस से बदलें और देखें कि, इससे आपके भावनात्मक स्वास्थ्य पर क्या फर्क पड़ता है। अब आप स्वयं या अन्य लोगों के लिए जल्दबाजी नहीं करेंगे और ना ही घबराहट पैदा करेंगे। आप जीवन में आने वाली अप्रत्याशित परिस्थितियों का विरोध करने के बजाय, उन्हें स्वीकार कर आगे बढ पाएंगे। और अंततः आप अपने मन में शांति, शरीर में स्वस्थता, रिश्तों में सद्भाव और अपने आस-पास के वातावरण में खुशी के वाईब्रेशन फैलाएंगे।
जीवन में किया गया हर कर्म – चाहे वह अच्छा हो या बुरा – हमारे व्यक्तित्व, आत्मा की गहराई और परमात्मा से जुड़ाव को दर्शाता है। सही कर्म का चुनाव
जीवन में कई मोड़ ऐसे आते हैं जो हमारी आत्मा की परीक्षा लेते हैं। सही कर्म का चुनाव करें और जानें कैसे अच्छे कर्म हमारे आंतरिक गुणों जैसे शांति, आनंद
“मेडिटेशन कैसे करें?” भाग 2 में जानें परमात्मा से आत्मा का दिव्य मिलन, शांति की वर्षा और आत्मिक अनुभव की सच्ची झलक।
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respecting ourselves is not just about holding ourselves in high esteem; it’s about realigning with our original, pure state and setting a positive example for others to follow.
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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