एक्सपेक्टेशन न करें

February 18, 2024

एक्सपेक्टेशन न करें

आप सभी ने अपने जीवन में, कभी न कभी ये अनुभव किया होगा कि, आप अपने साथ काम करने वाले कलीग को उसके प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद करते हैं, लेकिन जब आपको उसकी मदद की जरूरत होती है, तो वो मना कर देता है। और पूरा दिन ऑफिस में काम करके जब आप थक कर घर वापस आते हैं, तो आप अपने बच्चों से अच्छे व्यवहार की उम्मीद करते हैं लेकिन वे पूरी शाम धमाल करके आपको परेशान करते हैं। तो ऐसी सिचुएशन से गुजरते हुए आप भी आश्चर्यचकित होते हैं कि, लोग क्यों हमारी छोटी-छोटी एक्सपेक्टेशन को पूरा नहीं कर पाते हैं। क्यों वे हमारे अनुसार व्यवहार नहीं करते? यहां हमें ये समझने की जरूरत है कि, हम सभी की आदतें, व्यक्तित्व, सोच, पसंद और प्राथमिकताएं एक दूसरे से अलग हैं। इसी के चलते हम ठीक उसी तरह से कार्य नहीं कर सकते, जैसेकि दूसरे करते हैं और इस बात का हमारे उन पर अधिकार, रोल या जिम्मेदारियों से कोई सम्बंध नहीं है। साथ ही, ये इस बात से भी संबंध नहीं रखता है कि, हमारी उनके प्रति आशाएं कितनी सही या साधारण हैं। हमारे लिए ये जरूरी है कि, हम अपने परिवार, मित्र, कलीग, समाज सभी से आशाएं रखना छोड़ दें। हमें ये ध्यान रखना होगा कि- हम अपने अनुसार कार्य व्यवहार में आएं और ठीक इसी तरह से दूसरे लोगों को भी उनके अनुसार कार्य करने दें। हमें सम्मानपूर्वक उन्हें अपनी राय, सलाह और निर्देश देने चाहिए और जब वे हमारी आशाओं पर खरे नहीं उतरते, तो भी हमें उदास नहीं होना चाहिए। हमें अपने इस बिलीफ सिस्टम कि, एक्सपेक्ट करना नॉर्मल है, को भी बदलना होगा और उसकी जगह एक्सेप्टेंस नॉर्मल है, ये प्रयोग करना होगा। ऐसा करने से हम खुद को हर परिस्थिति में भावनात्मक रूप से स्थिर पाएंगे और अपने संबंधों को भी मज़बूत बना पाएंगे।

 

ये जरूरी नहीं कि, कोई भी दो व्यक्ति एक जैसा सोचें, बोलें और व्यवहार करें, फिर भी हम इस बात पर आए दिन आश्चर्य करते हैं कि, वे ऐसा कैसे कर सकते हैं? उसने ऐसा कैसे कहा? इस तरह के व्यर्थ विचारों और आशाओं के बोझ से, हम खुद की शांति और प्यार की एनर्जी को ब्लॉक कर देते हैं। इसलिए याद रखें कि- हमारे मन की स्थिति का बाहरी किसी भी व्यक्ति या चीजों से कोई भी संबंध नहीं है। स्वयं से बात करें और अपने मन के विचारों और भावनाओं को दूसरे लोगों के लिए प्रोग्राम करें। किसी भी परिस्थिति में हताश न हों, दिलशिकस्त न हों, आशाएं न रखें, न ही किसी को ब्लेम करें और न ही कंप्लेंट करें। अपनी आंतरिक स्थिति और रिस्पॉन्स के लिए खुद को ही जिम्मेदार मानें। लोगों के आवेग और ऑटो पायलट रिएक्शन से बाहर आने का प्रयास करें। लोगों के प्रति आपकी स्वीकार्यता की भावना कि, वे मुझसे अलग हैं, आपकी खुशी को बरकरार रखेगी और साथ ही, उन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगी।

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