06th feb 2025 soul sustenence hindi

February 6, 2025

हम अपना आत्म नियंत्रण क्यों खोते जा रहे हैं?

आइए, जानने की कोशिश करें कि हम अपना आत्म नियंत्रण क्यों और कैसे खोते हैं? हम सभी जानते हैं कि हवा में प्रदूषक तत्व होते हैं, लेकिन उसके अलावा एक और सूक्ष्म और महत्वपूर्ण पहलू है जिसे हम देख तो नहीं सकते पर एब्जॉर्ब करते हैं। हमारी मानव चेतना; जो हमारे इरादों, विचारों, भावनाओं और रवैये से बनती है फिर यह हमारे परिवार, कार्यस्थल, शहर, देश और पूरी दुनिया की सामुहिक चेतना बनाती है।

 

वायु प्रदूषण का प्रभाव समझते हुए, हम लोगों को 3 समूहों में बाँट सकते हैं:

समूह 1: वे लोग जो हवा को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार हैं।

समूह 2: इस समूह में हर एक व्यक्ति शामिल होता है, क्योंकि हर कोई प्रदूषित हवा में साँस लेता है।

समूह 3: वे लोग जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं और इस वजह से बीमार पड़ जाते हैं।

 

ऐसे ही भावनात्मक प्रदूषण का भी वर्गीकरण किया जा सकता है:

समूह 1: वे लोग जिनके मन में लालच, क्रोध, मोह, अहंकार जैसे विचार हैं। और उनके मन के ये विचार वातावरण में फैलते हैं। इस प्रकार से, ये सारी नकारात्मक भावनाएँ हमारे वायुमंडल में हैं।

समूह 2: इसमें हरएक शामिल है, क्योंकि हर कोई इन वाइब्रेशन्स से प्रभावित होता है।

समूह 3: वे लोग जो अपने जीवन में किसी समस्या, मानसिक या शारीरिक बीमारी के कारण भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं; वे लोग अन्य लोगों की तुलना में वातावरण की इन वाइब्रेशन्स से अधिक प्रभावित होते हैं।

 

अतः, समूह 3 के लोगों का समझना बहुत जरूरी है। अगर वायु प्रदूषण से प्रभावित व्यक्ति को सीढ़ियाँ चढ़ने के लिए कहा जाए, तो वह हांफने लगता है और सामान्य महसूस नहीं करता। इसी तरह, भावनात्मक रूप से कमजोर व्यक्ति, जो वातावरण के वाइब्रेशन्स से प्रभावित हो चुका है, तो वो जब कठिन परिस्थिति का सामना करता है, तो वह खुद पर नियंत्रण खो सकता है। ऐसे में वह असामान्य तरीके से प्रतिक्रिया करता है। जैसेकि: रोड रेज, शारीरिक हमला या कोई अन्य हिंसात्मक कार्य। उस समय लोग अपना सामान्य व्यवहार खो देते हैं लेकिन उस क्षण के बाद वे पछताते हैं, दर्द और अपराधबोध महसूस करते हैं। ऐसे ही कुछ पल कई लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित कर सकते हैं। जब हम समूह 3 के लोगों के बारे में पढ़ते हैं और उनकी आलोचना करते हैं, तब हमें अपना आत्मनिरीक्षण भी करना चाहिए: कि क्या मैं समूह 1 का हिस्सा हूँ? क्या मेरे मन के क्रोध, लालच या हिंसा के विचार दूसरों को प्रभावित करते हैं? क्या मेरी वजह से कोई इस हद तक प्रभावित होता है कि वह ऐसा कदम उठा लेता है? इसलिए, अगर हमें शांति, सम्मान और सौहार्द चाहिए, तो इसकी शुरुआत हमें अपने मन से करनी होगी। यदि हम चाहते हैं कि हर कोई भावनात्मक रूप से स्वस्थ हो, तो हमें भावनात्मक प्रदूषण रोकना होगा और सकारात्मक ऊर्जा व वाइब्रेशन्स फैलाने होंगे। हमें समूह 1 के लोगों को बदलना होगा ताकि समूह 3 का अस्तित्व ही न रहे। हमें ध्यान रखना होगा कि – मैं सामूहिक चेतना का हिस्सा हूँ। मैं परिवर्तन का हिस्सा बनूँ, बदलाव और विश्व परिवर्तन का हिस्सा बनूँ।

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