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November 1, 2024
मिट्टी के दीपक और लैम्प जलाना दिवाली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक अकेला दिया बेहद सुंदर होता है और अंधकार मिटाता है। आइए जानें कि आध्यात्मिक रूप से, हमें किस अंधकार को मिटाने की जरूरत है? यह अंधकार है- हमारा अहंकार और हमारी आध्यात्मिक अज्ञानता। दीये का आध्यात्मिक महत्व है कि मिट्टी से बना हुआ दिया हमारे भौतिक शरीर का प्रतीक है। उसमें जलने वाली बाती हमारी असली पहचान, अर्थात आत्मा का प्रतीक है। तेल इस आध्यात्मिक ज्ञान को दर्शाता है कि हम सभी आत्माएं हैं और हमारे मूल गुण शांति, आनंद, प्रेम, सुख, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान हैं। हमारी आत्मा रूपी लौ लगातार जलती रहे इसके लिए आवश्यक है कि हम यह सुनिश्चित करें कि इसमें तेल लगातार भरता रहे। इसका अर्थ है कि हम अपने हर विचार, शब्द और कर्म में दिव्य गुणों को लागू करें ताकि हम आत्माएं प्रकाशमान रहें। यह ज्ञान का प्रकाश हमें अन्य आत्माओं को रोशन करने की शक्ति देता है। एक और महत्वपूर्ण संदेश यह है कि आत्मा को दर्शाती यह लौ, दीये की परवाह किए बिना समान रहती है। यह समान रूप से जलती है और समान चमक देती है। इसका तात्पर्य यह है कि हम आत्माएं बाहरी स्वरूप, स्थिति, लिंग, राष्ट्रीयता और धर्म की परवाह किए बिना समान हैं।
फुलझड़ियां जलाना का संदेश है कि हमें अपने पिछले दुखों को समाप्त कर देना चाहिए। जैसे एक लौ पूरी फुलझड़ी की श्रृंखला को प्रज्वलित कर सकती है, वैसे ही एक विचार कि “अतीत समाप्त हो गया है,” हमें उन सभी अतीत के दर्द के बोझ से मुक्त कर सकता है जो हम अपने साथ ले कर चल रहे होते हैं। यह क्षमा और स्वीकृति को आसान बनाता है। दर्द और रोष को पकड़े रहने से हम सभी भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो जाते हैं और दूसरों के प्रति नकारात्मक संकल्प क्रिएट करते हैं। इसके विपरित जब हम दूसरों के प्रति स्वयं की नाराजगी को छोड़ देते हैं, तब हम अपने मन को स्वतंत्र कर देते हैं। जिस प्रकार व्यापारी लोग अपना पुराना खाता बंद करके नया खाता शुरू करते हैं, ये इस बात को दर्शाता है कि हमें भी अपने पुराने कार्मिक अकाउंट को बंद करने के लिए अपने विवादों को सुलझाना चाहिए, स्वयं को और दूसरों को भी क्षमा करना चाहिए और अपने संबंधों को प्यार, विश्वास और सम्मान के भाव से रंगना चाहिए।
जब इस प्रकार हम दिवाली का त्यौहार मनाते हैं, तब हम अपने आध्यात्मिक अज्ञानता के अंधकार पर विजय प्राप्त कर स्वयं के अंदर दिव्य ज्ञान का दीया जला सकते हैं। हम स्वयं के आंतरिक संसार पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार से हम स्वयं के भीतर श्रीलक्ष्मी जी की दिव्यता को जाग्रत कर सकते हैं। जिसका अर्थ है कि हम नई तरह से सोचने, जीवन जीने और व्यवहार करने का स्वागत कर अनंत खुशियों, अच्छे स्वास्थ्य और सद्भाव का अनुभव कर सकते हैं।
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