08th jan 2025 soul sustenence hindi

January 8, 2025

ईश्वर के प्रेम और मदद द्वारा सकारात्मकता का अनुभव करें (भाग 1)

क्या हमारे मन का दृष्टिकोण सकारात्मक है?

जब हम अपने चारों ओर देखते हैं, तो पाते हैं कि कुछ लोग अपने जीवन की अपूर्णताओं में भी खुश हैं क्योंकि वे हमेशा धन्यवाद देने के लिए कुछ न कुछ ढूंढ ही लेते हैं। वहीं दूसरी ओर, कुछ लोग परिपूर्ण स्थितियों में भी गलतियाँ निकाल लेते हैं। किसी भी व्यक्ति की प्रतिक्रिया केवल, उसके दृष्टिकोण का ही परिणाम होती है। दृष्टिकोण का अर्थ है, जीवन को सदैव मन की एक निश्चित स्थिति से देखना है। यह ठीक वैसे ही है जैसे किसी क्रिकेट मैच को मैदान के अलग-अलग स्थानों से देखना। अंपायर को खेल का जो दृश्य दिखता है, वह विकेटकीपर या किसी अन्य खिलाड़ी से अलग होता है क्योंकि उनकी स्थितियां अलग-अलग होती हैं। जीवन के रोज के दृश्यों में भी, एक ही परिवार के दो लोग, एक ही परिस्थिति को मन की अलग-अलग स्थिति से देखते हैं और प्रतिक्रिया देते हैं। हमारा दृष्टिकोण; जीवन को या तो एक आनंदमय यात्रा बना सकता है, जो सुगम हो सकती है, या फिर एक रोलर कोस्टर सवारी, जिसमें कई उतार-चढ़ाव भरे हों।

 

आइए, जीवन के दृश्यों को देखने के लिए मन की सबसे सकारात्मक स्थिति चुनें। वह स्थिति, जहां से हमारे शांति, प्रेम और खुशी जैसे सकारात्मक गुण बाहर प्रवाहित होते हैं। एक ऐसी स्थिति जहां से हमारी आंतरिक सुंदरता स्वतः प्रकट होती है और बाहरी परिस्थिति को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। सर्वश्रेष्ठ मानसिक स्थिति को पहचानना और चुनना हमारे व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। यदि मन आत्मा के मूल गुणों से भरपूर हो, तो पूरा आंतरिक जगत सकारात्मक होता है। अन्यथा, मन के अव्यवस्थित होने पर, वह सकारात्मक दृष्टिकोण दुर्लभ हो जाता है। ऐसे में जब हम योग जैसी आत्म-जागरूकता और आत्मचिंतन को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में नियमित रूप से संलग्न होते हैं, तो मन सकारात्मकता की स्थिति में प्रवेश करता है और शांति, प्रेम और खुशी की ओर उन्मुख होना सीखता है। अंततः यह हमारे दृष्टिकोण को हर व्यक्ति, परिस्थिति और स्वयं के जीवन के प्रति सकारात्मक बना देता है।

(कल जारी रहेगा …)

11 july 2025 soul sustenance hindi

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