अंतर्मन के रावण को जलाकर स्वतंत्रता का अनुभव करना (भाग 1)
दशहरा का आध्यात्मिक संदेश – 12 अक्टूबर दशहरा; बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है, जिसे श्रीराम और रावण के बीच के युद्ध
January 27, 2024
हम सभी को यह अनुभव है कि, अलग-अलग पर्सनालिटी वाले लोगों को संभालने के लिए बहुत अधिक आध्यात्मिक शक्ति की आवश्यकता होती है और कुछ लोगों के लिए इसे अचीव करना एक कठिन कार्य हो सकता है। क्योंकि यह केवल अच्छी तरह से बातचीत करने या फिर खुद को प्रेजेंट करने की फिजिकल स्किल्स के बारे में नहीं है, क्योंकि ये कुछ तरीके हम अपने पर्सनल वा प्रोफेशनल संबंधों में अपनाते हैं। परंतु यह हमारे गुणों और शक्तियों के साथ-साथ, विभिन्न प्रकार के कार्यों और उनसे जुड़े रिजल्ट की नॉलेज के बारे में है।
आइए, इसे एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं; यदि आप अपने कार्यालय में अन्य सहयोगियों के साथ किसी मीटिंग की तैयारी कर रहे हैं, तो आप फिजिकल लेवल पर कई स्टेप्स का ध्यान रखेंगे – जैसेकि कंपनी के एजेंडे में क्या चर्चा करनी है, ग्रुप में लोगों की क्या-क्या शिकायतें हैं, कंपनी में कहां और क्या कमी है और मेरी स्वयं की बाहरी पर्सनैलिटी कितनी बेहतरीन होनी चाहिए, ताकि हर कोई मुझसे संतुष्ट हो सके इत्यादि। लेकिन क्या हमने कभी अपने आंतरिक व्यक्तित्व के बारे में सोचा है कि यह कैसा है? क्या मेरा स्वभाव अच्छा है, क्या मैं प्यार और शुभकामनाओं द्वारा सभी की इनर डिजायर को पूरा करने में सक्षम हूँ? साथ ही, क्या मैंने खुद को आध्यात्मिक रूप से इतना सशक्त बना लिया है कि, दूसरे लोगों का व्यवहार और कार्य करने का तरीका अलग होने पर भी, मैं उन्हें बर्दाश्त कर सकता हूं, उनको सहयोग दे सकता हूं? वरना लोगों के अलग-अलग व्यक्तित्व और नज़रिए के साथ-साथ, उनके लक्ष्य और उद्देश्यों को देखने पर हम परेशान हो सकते हैं। इसके साथ ही हमारा मन भी, स्थितियों पर ढंग से केंद्रित न कर पाने की वजह से सकारात्मक तरीके से कार्य नहीं कर पाता और इवेंचुअली हमारे निर्णय गलत हो सकते हैं। बेशक, हमेशा हमारी यह सोच कि, लोगों से डील करना वा निपटना आसान होगा, और साथ ही उन्हें खुश करने के हमारे एफर्ट्स का कई बार असफल होना भी संभव है। लेकिन, रिश्तों में सामंजस्य लाने और बनाए रखने के लिए; हमारे अंदर आध्यात्मिक कौशल जैसेकि अच्छी निर्णय शक्ति, विवेक शक्ति, स्वयं को मोल्ड करने की क्षमता, स्वीकार करने की शक्ति और हर एक की राय को सम्मान देने की क्षमता आदि की भी आवश्यकता होती है। क्योंकि ये सभी पावर और स्किल्स सफलता को आसान बना देंगे।
(कल भी जारी रहेगा…)
दशहरा का आध्यात्मिक संदेश – 12 अक्टूबर दशहरा; बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है, जिसे श्रीराम और रावण के बीच के युद्ध
कल के संदेश में हमने बाहरी प्रभावों पर चर्चा की थी। आइए, आज कुछ आंतरिक प्रभावों के बारे में जानते हैं जो हमारे विचारों को
एक महत्वपूर्ण पहलू जो हमें ध्यान केंद्रित करने के स्वस्थ और सकारात्मक अनुभव में बने रहने नहीं देता, वे हमारे जीवन में हम पर पड़ने
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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