जब जरूरी हो तब ही दूसरों के बारे सोचें

June 10, 2024

जब जरूरी हो तब ही दूसरों के बारे सोचें

विज्ञान का ये एक बहुत ही सरल नियम है कि हम जिसके बारे में सोचते हैं, मानसिक रूप से उनसे जुड़ जाते हैं। अगर हम किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचते हैं जो परेशान है या दर्द में है, तो हम भी दर्द महसूस करते हैं। आध्यात्मिक ज्ञान हमें निरंतर परमात्मा की याद में रहना सिखाता है। जब हम किसी व्यक्ति को याद करते हैं, तो उनकी मन की स्थिति के साथ से जुड़ जाते हैं और हम भी वैसा ही महसूस करने लगते हैं जो वे महसूस कर रहे होते हैं- माना उनके तनाव, भय या क्रोध की स्थिति हमारी भी हो सकती है। आइए इसके बारे में समझें: 

 

1.चेक करें कि, क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जिसके बारे में आपके मन में किसी न किसी समय विचार चलते रहते हैं। वो कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिससे आप भावनात्मक रूप से जुड़े हों या फिर कोई ऐसा जिसे आप पसंद नहीं करते हों। ऐसा करने से, आपके विचार उन तक पहुंच रहे होते हैं, जिससे उनके अंदर भी वैसे ही विचार क्रिएट होने लगते हैं और फिर उनके यही विचार वापस आप तक पहुंचते हैं। इस प्रकार आप उनके साथ थॉट टू थॉट जुड़े हुए होते हैं

 

2.उन पलो को याद करें, जब आपको बिना वजह अचानक से उदासी या बेचैनी महसूस हुई थी? हो सकता है कि आप किसी ऐसे व्यक्ति को याद कर रहे थे जो उस पल चिंतित या दुखी था।

 

3.अलोचना, नफ़रत या भय आपकी एनर्जी को कम करते हैं। मान लीजिए, आपके ऑफिस का कोई सहयोगी अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा है। ऐसे में सम्मानपूर्वक उन्हें इंप्रूवमेंट लाने के लिए सुझाव दें। उसके बाद जब भी आप उनके बारे में सोचें या उनसे मिलें तो नेगेटिव न सोचें।

 

4.सिर्फ मेडिटेशन के दौरान ही नहीं बल्कि सारे दिन आप जो भी कार्य करते हैं, परमात्मा की याद में करें और उनकी फ्रिक्वेंसी से जुड़े रहें। परमात्मा शांति, प्रेम, आनंद और शक्ति के सागर हैं। इसलिए आप उनके वायब्रेशन से प्रभावित होंगे और वैसा ही महसूस करने लगेंगे।

नज़दीकी राजयोग सेवाकेंद्र का पता पाने के लिए