
हमेशा कहें मैं करूँगा नाकि……..मैं कोशिश करूँगा
‘मैं करूँगा’ कहें, ‘मैं कोशिश करूँगा’ नहीं। सोच और शब्दों की पॉजिटिव एनर्जी सफलता को आकर्षित करती है। आज से अपने शब्द बदलें।
July 19, 2024
जब से हमारे जीवन में स्पीड और हड़बड़ी हमारे जीवन जीने का तरीका बन गई है, तबसे हम बहुत इमपेशेंट हो गए हैं। समझदारी हमें बताती है कि, धैर्य का फल मीठा होता है और अधीरता हमें बहुत महंगी पड़ती है। लेकिन कभी-कभी जब हम किसी चीज़ में तेजी लाना चाहते हैं, तुरंत बदलाव चाहते हैं, जब कोई चुनौती की स्थिति होती है या जब हम अनिश्चितता को सहन नहीं कर पाते हैं, तो हम इमपेशेंट हो जाते हैं। हम जो चाहते हैं वह हरहाल में और तुरंत चाहते हैं। आईये इससे जुड़ी बातों को जानें:
‘मैं करूँगा’ कहें, ‘मैं कोशिश करूँगा’ नहीं। सोच और शब्दों की पॉजिटिव एनर्जी सफलता को आकर्षित करती है। आज से अपने शब्द बदलें।
हम हर दिन ऊर्जा का लेन‑देन करते हैं—विचार, भावनाएँ, कर्म। अगर इसमें आध्यात्मिक समझ और प्रेम शामिल करें, तो रिश्तों की गुणवत्ता सुधरती है। लेकिन अधिक लगाव से अपेक्षाएं बनती हैं, जो दुख और तनाव लाती हैं। सीखें संतुलन से जुड़े रहना।
अच्छी ऊर्जा पाने के लिए खुद को बदलना जरूरी है। जानिए कैसे आत्म-सुधार और सहानुभूति रिश्तों में सकारात्मकता लाती है।
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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