23rd dec 2024 soul sustenence hindi

December 23, 2024

कर्म बंधनों का चक्र (भाग 1)

कर्म वह ऊर्जा है जो हम अपने विचारों, बोल और व्यवहार के रूप में दुनिया में भेजते हैं। यह उस तीर की तरह काम करता है जो हम चलाते हैं, फिर यह लक्ष्य पर जाकर हम पर ही वापस आता है। और यह ऊर्जा; हमारी सेहत, करियर, रिश्ते नातों में भाग्य के रूप में, हालात बनकर हर दिन हमारे पास वापस लौटकर आएगी। अक्सर हम महसूस करते हैं कि हम सभी के साथ अच्छा रहे हैं, फिर भी हमारे साथ सब कुछ सही क्यों नहीं हो रहा है? हम कर्म के नियम पर सवाल उठाने लगते हैं और इसे अनुचित समझते हैं। क्या आप जानते हैं कि कर्म का नियम एक आध्यात्मिक नियम है, जो आत्मा पर लागू होता है। कर्म करने वाली आत्मा है, शरीर नहीं। हम सभी की आत्मा एक यात्रा पर है और शरीर वह पोशाक है जिसे पहनकर आत्मा कर्म करती है। हर जन्म में हम कई आत्माओं से मिलते हैं और उनके साथ हमारे कर्म संबंध बनते हैं। समय के साथ, हम और वे शरीर रूपी पोशाक बदलते हैं, लेकिन यहां यह याद रखना होगा कि शरीर केवल पोशाक है और कर्म का संबंध आत्माओं के बीच होता है, जो चलता रहता है।

 

मान लीजिए, आज हम एक मित्र से मिलते हैं और हमारे बीच किसी बात पर झगड़ा हो जाता है। अगले सप्ताह जब हम फिर मिलते हैं, तो भले ही हम अलग पोशाक में हों, लेकिन पिछली बहस का असर हमारी मुलाकात पर रहेगा। शायद हम एक-दूसरे से अच्छी तरह बात न करें। और अगले महीने हम फिर मिलते हैं, तो शायद बिल्कुल भी बात ही न करें। हमारी हर मुलाकात अगली मुलाकात पर असर डालती है। ऐसे में, यदि हममें से कोई इस झगड़े को खत्म करने का फैसला करके प्रेमपूर्वक बातचीत शुरू करता है, तो फिर अगली मुलाकात में अनुभव की गुणवत्ता बदल जाएगी। इसलिए, यह कर्म बंधनों का एक निरंतर चक्र है।

(कल जारी रहेगा…)

18 march 2025 soul sustenance hindi

नकारात्मक विचारों को आध्यात्मिक शक्ति से बदलना (भाग 3)

आंतरिक शक्ति विकसित करने के लिए दृढ़ संकल्प और सकारात्मक सोच जरूरी है। जानिए कैसे संस्कार बदलकर, मेडिटेशन और ईश्वर से जुड़कर अपनी आत्मशक्ति को मजबूत बनाएं।

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