कर्म करते हुए आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास (पार्ट 2)

March 16, 2024

कर्म करते हुए आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास (पार्ट 2)

आज यह बहुत जरूरी हो चुका है कि, कैसे मैं अपनी पर्सनल या प्रोफेशनल लाइफ अथवा अन्य किसी परिस्थिति में कर्मों में इंवॉल्व रहते हुए भी खुद को स्थिर रखूं? अभी तक हम जब भी यह जानने की कोशिश करते हैं कि, मैं कौन हूँ, तो मिरर में देखने से खुद का बाहरी स्वरूप ही नज़र आता हैl इसके अतिरिक्त, हम अपनी एजुकेशन, अपनी शख्सियत, अपनी काबलियत और अपने कार्य या अपनी भूमिका के बारे मेँ भी जानते हैंl लेकिन यह सब हमारे बाहरी परिचय हैंl लेकिन इस स्थूल शरीर के अंदर मौजूद शक्ति; जो इस शरीर द्वारा सारे कार्य कर रही है, उसे आंतरिक शक्ति या आत्मा कहते हैंl आत्मा; एक ऐसी ऊर्जा व शक्ति है जो हमारे सभी गुणों व शक्तियों का नेचुरल स्टोर हाउस हैl इस तरह से, यदि मेरा मन जो मेरी आत्मा का एक हिस्सा है, अपने गुणों और शक्तियों का निरंतर अनुभव करे, तो मैं हमेशा शांत और संतुष्ट रहूँगा, लेकिन जब हम अपने कर्म में इतना व्यस्त हो जाते हैं तब अंतरात्मा से हमारा कनेक्शन टूट जाता हैl हम केवल स्थूल शरीर द्वारा कार्य करते रहते हैँ तथा अपनी आन्तरिक शक्ति को कोई महत्व नहीं देतेl 

 

आइए एक बहुत ही सरल तरीके को जानें; जिसके द्वारा हम अपनी इन गुणों और शक्तियों को पहले अपनी स्मृति में और फिर अपने कर्मों में भी यूज़ कर सकते हैं वह है, स्वयं को याद दिलाना कि; मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ या एक प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ या एक शक्तिशाली आत्मा हूँl ऐसा सोचने से आप ऐसे बनते जाओगेl इन्हें स्वमान कहा जाता हैl जितना अधिक मैं इन गुणों औऱ शक्तियों को कार्य में लगाऊंगा, उतना ही मेरे काम सुनियोजित हो जाएंगे व मैं इनमें बहुत ज्यादा इंवॉल्व नहीं होऊँगाl साथ ही, मैं इन्हें बहुत अच्छे से कर पाऊँगा क्यूंकि, मेरा मन एकाग्र चित्त और भरपूर हैl इसे ही आत्मिक स्थिति कहते हैं और शरीर द्वारा स्थूल कर्म करते समय, मन की यह स्थिति उस कर्म प्रधान स्थिति से बहुत ऊँची हैl

(कल जारी रहेगा)

नज़दीकी राजयोग सेवाकेंद्र का पता पाने के लिए

[drts-directory-search directory="bk_locations" size="lg" cache="1" style="padding:15px; background-color:rgba(0,0,0,0.15); border-radius:4px;"]
13 May 2025 soul sustenance Hindi

कम बोलें, धीरे बोलें और मीठा बोलें

कम बोलना, धीरे बोलना और मीठा बोलना केवल एक कला नहीं, बल्कि प्रभावशाली कम्युनिकेशन की कुंजी है। जब हम शब्दों को सोच-समझकर बोलते हैं, तो वे सुनने वाले के दिल तक पहुंचते हैं।

Read More »
12 May 2025 soul sustenance Hindi

मुश्किल समय में लोगों से बात करें… उनके बारे में बातें न करें

रिश्तों में खुलकर बात करना क्यों ज़रूरी है? जानिए कैसे दूसरों से शिकायत करने की बजाय, अपने मतभेद सीधे उस व्यक्ति से शेयर करने से रिश्ते मजबूत बनते हैं। साथ ही, नेगेटिव वाइब्रेशन से कैसे बचें और पॉजिटिव संवाद से संबंधों को गहराई दें

Read More »
11 May 2025 soul sustenance Hindi

अपनी सकारात्मकता की ढाल को मजबूत बनाएं

सकारात्मकता की शील्ड से खुद को नकारात्मक परिस्थितियों से बचाएं! अपनाएं 8 पॉजिटिव टिप्स जैसे आध्यात्मिक जागरूकता, परमात्मा का साथ, और अंतर्मुखता का अभ्यास। इस लेख में जानिए कैसे बनें मानसिक रूप से मज़बूत और शांत

Read More »