
सराहे जाने और आलोचना किए जाने पर स्टेबल रहें
आत्मिक स्थिरता सिखाती है कि न तारीफ में खोएं, न आलोचना से दुखी हों। जानें अध्यात्मिक दृष्टिकोण से स्थिर और शांत रहने के उपाय।
October 2, 2024
हर स्तर पर खुशी का अनुभव तब किया जा सकता है जब हमारा जीवन सुंदर रिश्तों के खजाने से भरपूर हो। आपके सबसे नजदीकी व्यक्ति आप स्वयं हैं। स्वयं से आपका अच्छा संबंध, जिसमें आपकी आत्मिक पहचान की स्पष्ट समझ हो और आप यह भी जानें कि आपकी विशेषता क्या है और आप किन-किन तरीकों से विशेष हैं, यह खुशी की कुंजी है। साथ ही, याद रखें जितना आप खुद के करीब होते हैं, उतना ही सुंदर आपका संबंध परमात्मा और दूसरों के साथ होता है। परमात्मा स्वयं सकारात्मक व्यक्तित्व के गुणों का सागर हैं, और उनके व्यक्तित्व के हर पहलू और उनके साथ विभिन्न रिश्तों का अनुभव; आपको अधिक खुश, ज्ञानवान और शक्तिशाली बनाएगा। इसके अलावा, जितना अधिक आप उनसे प्रेम करेंगे और जीवन के हर क्षेत्र में उनका हाथ थामेंगे, उतने ही लोग आपसे करीब और संतुष्ट होंगे, जिससे जीवन हर कदम पर सुंदर और हल्का महसूस होगा। तो, खुद से, परमात्मा से और दूसरों से प्रेम करना और बदले में प्रेम प्राप्त करना; आपको जीवन यात्रा में विभिन्न कार्यों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उत्साहित करेगा। जीवन की उतार-चढ़ाव वाली यात्रा, जिसमें “हो पाएगा” और “नहीं हो पाएगा” के विचार होते हैं, एक सुसंगत ट्रेन यात्रा में बदल जाएगी, जिसमें आप लगातार संतोष और आनंद की ठंडी हवा का अनुभव करेंगे, चाहे आपके जीवन में कैसी भी घटनाएँ घट रही हों।
अंततः, यह कहा जाता है कि सबसे बड़ा गुण है अपने गुणों को दूसरों के साथ साझा करना। दूसरे शब्दों में, अपने गुणों का अनुभव करना, उन्हें बढ़ाना और फिर अपने चेहरे, आँखों, मुस्कान, मीठे शब्दों और श्रेष्ठ कार्यों के माध्यम से दूसरों तक पहुँचाना, जोकि न केवल दूसरों को खुश करेगा, बल्कि उनकी खुशी और प्रेम से भरपूर दुआएं आपको भी मिलेंगी और खुशी प्रदान करेंगी। अच्छाई बांटने से बढ़ती है। और आत्मा के भीतर अच्छाई को बढ़ाना माना अपने अंदर खुशी और हल्केपन के खजाने को खोलना है। इसलिए, अच्छाई से भरपूर एक अच्छा व्यक्ति बनने का लक्ष्य रखें, इससे आप खुशहाल बन जाएंगे। यह इसलिए है क्योंकि जो व्यक्ति भावनात्मक रूप से समृद्ध होता है, वह खुशी में भी समृद्ध होता है।
आत्मिक स्थिरता सिखाती है कि न तारीफ में खोएं, न आलोचना से दुखी हों। जानें अध्यात्मिक दृष्टिकोण से स्थिर और शांत रहने के उपाय।
सच्चा प्रेम तब आता है जब हम स्वयं से और परमात्मा से जुड़े होते हैं। निस्वार्थ प्रेम हमारे मन को शांति और आत्मिक शक्ति देता है।
‘मैं करूँगा’ कहें, ‘मैं कोशिश करूँगा’ नहीं। सोच और शब्दों की पॉजिटिव एनर्जी सफलता को आकर्षित करती है। आज से अपने शब्द बदलें।
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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