03rd jan 2025 soul sustenence hindi

January 3, 2025

क्रोध पर काबू पाने के 5 सफ़ल स्टेप्स (भाग 1)

हम सभी सुबह से लेकर रात तक ऐसा जीवन जी रहे हैं, जहां हमें ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जहां गुस्सा करना एक आम और सबसे आसान प्रतिक्रिया है जिसे हम चुनते हैं। एक बार एक डॉक्टर अपने क्लिनिक में एक मरीज से मिलता है और पूछता है, “तुम एक दिन में कितनी बार गुस्सा करती हो? मरीज़ ने जवाब दिया कि मैंने कभी गिनती नहीं की, लेकिन मुझे लगता है कि एक भी दिन ऐसा नहीं होता होगा कि जब मैं गुस्सा न होऊं, अपना आपा न खोऊं, मैं अपने पति, बच्चों, नौकरानी या यहां तक कि दुकानदार पर भी गुस्सा हो जाती हूं। डॉक्टर ने कहा कि क्या आपने कभी सोचा है कि गुस्सा करने पर या उससे संबंधित भावनाओं के बाद आपके अंदर नकारात्मक केमिकल स्रावित होते हैं। यह शरीर के अंदर मौजूद हार्मोन्स को लगातार नुकसान पहुंचाता है। गंभीर मनोदैहिक बीमारियाँ या नकारात्मक मन के कारण होने वाली बीमारियाँ जैसे कि रक्तचाप, मधुमेह, अवसाद, अनिद्रा और यहाँ तक कि शरीर में कैंसर भी इसके कारण हो सकता है। और घृणा, प्रतिशोध, आक्रामकता या किसी भी अन्य विषैले और नकारात्मक व्यवहार के सबसे छोटे रिएक्शन भी, हमारे मन की शांति, प्रेम और खुशी के सकारात्मक मूड को कई घंटों तक कम कर देते हैं। आइए, हम आपको क्रोध पर काबू पाने के लिए 5 स्टेप्स बताते हैं:

 

  1. जिसे आप नहीं बदल सकते उसे बदलने की कोशिश न करें – अक्सर हम अपने जीवन में उन दृश्यों को बदलने की कोशिश करते हैं, जो हमारे नियंत्रण से परे हैं। जीवन के दृश्य जिनमें विभिन्न परिस्थितियाँ और लोगों का व्यवहार शामिल है, जो हमारी इच्छा के अनुरूप नहीं हैं और हमें नकारात्मक और क्रोध भरी भावनाओं के साथ प्रतिक्रिया करने पर मजबूर करते हैं। जब हम किसी दृश्य को नहीं बदल सकते, तो हम निराश महसूस करते हैं और सोचते हैं कि चीजें हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। उस समय, स्वयं को याद दिलाएं कि जीवन में सबकुछ हमेशा हमारी इच्छाओं के अनुसार नहीं हो सकता। साथ ही, जितना अधिक हम अपने अंदर सकारात्मक बदलाव लाएंगे, उतना ही हमारे परिवर्तन की ऊर्जा हमारे आस-पास के दृश्यों को सकारात्मक तरीके से बदल देगी। इसलिए, यह चाहने के बजाय कि किसी विशेष व्यक्ति में कोई विशेष गुण हो या कोई विशेष स्थिति अधिक सकारात्मक हो, खुद को उस गुण या सकारात्मकता से भरें और रेडिएट करें। इस तरह आप स्वीकार करने लगेंगे और उम्मीद नहीं करेंगे, क्योंकि उम्मीदें; क्रोध भरी भावनाओं का बीज हैं।

(कल भी जारी रहेगा…)