क्षमाभाव का संसार क्रिएट करें (भाग 3)

February 22, 2024

क्षमाभाव का संसार क्रिएट करें (भाग 3)

भारत देश में कहावत है कि, जिस घर में क्रोध की अग्नि जलती है, वहां गमलो में रखा पानी भी सूख जाता है। क्रोध; इंसान की अवेयरनेस में दबी हुई अनेकों अनेक इच्छाओं के कलेक्शन का ही नाम है, जिसके चलते क्षमा करना उसके लिए मुश्किल हो जाता है। खुद के अंदर क्षमा का संसार क्रिएट करने के लक्ष्य में दूसरा स्टेप होता है- अपने मन के अंदर उठ रहीं भावनाओं को प्रेम से भरना और सूक्ष्म इच्छाओं की भावनाओं को शांत करना। एक ऐसे संसार की कल्पना- जहां हमारे अंदर उठने वाली अनेक इच्छाएँ जैसे कि- मुझे चाहिए, मुझे जरूरत है, ये मेरा है, मैं आशा करता हूं, मैं सही हूं, मुझे ईर्ष्या है; आदि न हों क्योंकि, हमारी ये इच्छाएं एक ऐसी सूक्ष्म अग्नि के समान हैं जोकि हमारे अंदर एक दूसरे के प्रति पवित्र प्रेम की एनर्जी को जला देती हैं। और पवित्र प्रेम की ये एनर्जी हम सभी के अंदर प्रवाहित होती है, क्योंकि हम सब प्यार के सागर परमात्मा की संतान हैं।

 

इसलिए सुबह अपने दिन की शुरुआत परमात्मा को गुड मॉर्निंग करके करें, परमात्मा जो प्यार का सागर है, कुछ पल उनके साथ बिताएं और उनसे अपने दिल की बातें कहें और उनकी बातें सुनने की कोशिश करें। ऐसा करके आप, स्वयं को इस पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त गहरे प्यार से भर सकेंगे और हमारी इगो बेस्ड भावनाएं भी दूर होंगी और हमारा हृदय साफ़ हो जाएगा। साथ ही, क्षमा करने के संस्कार को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने के लिए ये जरूरी है कि- जितना अधिक हम अपने हृदय को परमात्मा के प्यार से भरेंगे, उतना ही अधिक हम आत्मिक प्यार से समृद्ध और अधिक मीठे और विनम्र होते जाएंगे। और ऐसे बदलाव से ही, हम हर एक आत्मा के दिल को जीत पाएंगे और अपने चारों तरफ प्यार और क्षमा का संसार बना पाएंगे।

(कल जारी रहेगा)

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