क्या आपका माइंडसेट सर्वाइवल का है या सर्विंग का?

March 23, 2024

क्या आपका माइंडसेट सर्वाइवल का है या सर्विंग का?

आजकल की दुनिया में हम सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट के आधार पर जीते हैं, जो जीवन को संघर्षपूर्ण बनाता है। जबकि आध्यात्म सिखाता है कि, जो सबकी सेवा करता है वही सबसे योग्य है। इस दुनिया की सुंदर सीख है; मानवता की सेवा ही भगवान की सेवा है। साथ ही, हमें योग्यतम की उत्तरजीविता यानि कि सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट भी सिखाया जाता है। लेकिन यह विश्वास हमें लोगों की सेवा करने के बजाय, उनके साथ कंपीट करने पर मजबूर करता है। आइए इसको समझें:

 

  1. हम सभी का ओरिजनल स्वभाव उदारता का है। तो हम जितना अधिक दूसरों को देंगे, उतना ही अधिक मजबूत बनेंगे। लेकिन, यदि हम मानते हैं कि, केवल योग्य ही सरवाइव कर सकता है, तो हमारी हमेशा लेने की भावना, प्रतिस्पर्धा करने की भावना और दूसरों पर हावी होने की इच्छाएं भी बढ़ जाएंगी। 

 

  1. क्या आप जानते हैं कि, सर्वाइवल की हमारी मानसिकता हमारे सर्व करने के रास्ते में एक बाधा है। हमने सोचा कि, जितना अधिक हम जमा करेंगे, उतना ही अधिक सफल और संतुष्ट होंगे। आज हमने भौतिक रूप से बहुत कुछ जमा कर लिया है, लेकिन सेवा करने के अपने मूल स्वभाव के अगेंस्ट काम करने से; पैदा हुए खालीपन के कारण हम भीतर से बहुत ही खोखला महसूस करते हैं।

 

  1. प्रतिदिन मेडिटेशन का अभ्यास करें और अपने आप को दूसरों की देखभाल करने, उनके साथ सहयोग करने और शेयर करने वाले अपने गुणों को नर्चर करने के लिए तैयार रहें। ऐसी सोच के साथ आप न केवल भौतिक रूप से, बल्कि भावनात्मक रूप से भी अपने शांति, प्रेम और आनंद के गुणों के वायब्रेशन द्वारा सेवा करने के तरीके खोज लेंगे। 


4. यहां सेवा करने का मतलब यह नहीं है कि, आप अपनी आकांक्षाओं को दबा दें और जो भी आपके पास है उसे दे दें। बल्कि अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करें, पैसा कमाएं, सुख-सुविधाओं का आनंद लें और वह सब कुछ हासिल करें जो आप कर सकते हैं लेकिन बिना प्रतिस्पर्धा के। अपनी इस यात्रा में लोगों का सहयोग करें और उन्हें सशक्त बनाएं।

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