
रिश्तों में पीड़ा से मुक्त होने का अनुभव (भाग 1)
रिश्तों में पीड़ा से मुक्त होना सीखें! निःस्वार्थ प्रेम अपनाएं, भावनात्मक संतुलन बनाए रखें और गहरे आध्यात्मिक संबंधों का अनुभव करें। 🌸
August 28, 2024
हज़ारों वर्षों से लोग एक बहुत आम सवाल पूछते आ रहे हैं कि क्या हमारी क़िस्मत यानि भाग्य पहले से तय है या हम इसे बदल सकते हैं? जब भी हम अपने जीवन में किसी कठिन परिस्थिति का सामना करते हैं, तो हम अक्सर सोचते हैं कि क्या यह हमारे पिछले जन्म के कर्मों का परिणाम है? और हम यह भी सोचते हैं कि क्या हमारे पिछले जन्मों के इन नकारात्मक कर्मों का प्रभाव को हमारे वर्तमान जीवन पर न पड़ने से रोका जा सकता है? तो, हमें क्या करना चाहिए और कहां से शुरू करना चाहिए? सबसे पहले, हमें बहुत गहराई से समझने की आवश्यकता है कि सभी मनुष्यों ने अपने अलग-अलग जन्मों में कुछ नकारात्मक कर्म और साथ ही साथ कुछ सकारात्मक कर्म भी किए हैं। लेकिन एक बहुत महत्वपूर्ण बिंदु नोट करने लायक है कि कुछ आत्माओं ने कम नकारात्मक कर्म किए हैं, और कुछ ने अधिक किए हैं। तो, इसके परिणामस्वरूप, आज दुनिया में हर कोई अपने जीवन में किसी न किसी नकारात्मक परिस्थिति का सामना कर रहा है। दुनिया में एक सामान्य धारणा है कि भगवान हमारा भाग्य बनाते हैं और हमारे जीवन में जो भी कुछ अच्छा या बुरा होता है वो भगवान द्वारा तय किया जाता है। लेकिन भगवान द्वारा दी गई आध्यात्मिक समझ के अनुसार, यह एक सही धारणा नहीं है। वे हमारे जीवन की परिस्थितियों का निर्णय नहीं करते हैं। जब भी हमारे जीवन में कुछ अच्छा होता है, तो यह हमेशा हमारे पिछले अच्छे कर्मों का परिणाम होता है, साथ ही साथ कुछ विशेष परिस्थितियों में परमात्मा की मदद होती है, लेकिन सभी में नहीं। दूसरी ओर, जब भी हमारे जीवन में कुछ नकारात्मक होता है, तो यह केवल हमारे पिछले गलत कर्मों का परिणाम होता है। परमात्मा हमें हमारे नकारात्मक कर्मों के लिए दंडित नहीं करते हैं।
तो, हम सभी को हमारे पिछले कर्मों के आधार पर भाग्य मिलता है। लेकिन, इसके साथ ही परमात्मा के मार्गदर्शन और उनके द्वारा दी गई आध्यात्मिक समझ के अनुसार, वर्तमान में अपनी क़िस्मत बदलने के तीन तरीके हैं-1.योग के द्वारा उनसे जुड़ें, उन्हें याद करें और उनके द्वारा दी गई आध्यात्मिक समझ को सुनें, जो हमारी आत्मा को शुद्ध करेगा और पिछले नकारात्मक कर्मों के बोझ दूर करेगा 2. सकारात्मक कर्म करें जो आत्मा को सात मूल गुणों – शांति, खुशी, प्रेम, आनंद, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान से भर देंगे और इन गुणों को दूसरों में भी बढ़ाएंगे 3. पांच मुख्य विकारों – काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार, विचारों, शब्दों और कर्मों में अन्य विकारों से मुक्त रहें और एक पवित्र जीवनशैली अपनाएं। जब हम इन तीनों तरीकों को अपने जीवन में अपनाते हैं तो आत्मा शुद्ध हो जाती है और उसमें भलाई और देने के सकारात्मक संस्कार उत्पन्न होते हैं। आत्मा के अंदर ये परिवर्तन उसकी क़िस्मत को बदलते हैं और उसके जीवन में अधिक सकारात्मक और सुंदर परिस्थितियों को आकर्षित करते हैं और उसकी नकारात्मक परिस्थितियों को सकारात्मक परिस्थितियों में बदल देते हैं। साथ ही, ये उसके भविष्य की जन्मों को भी सकारात्मकता और सफलता से भर देते हैं।
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