लोगों पर शक ना करें, बल्कि भरोसा करें
हममें से कुछ लोगों को हमारे रिश्तों में दूसरों पर संदेह करने की सूक्ष्म आदत होती है। कभी-कभी इसका संबंध हमारी आदत के कारण ज्यादा
September 8, 2023
हमारे चारों ओर की दुनिया; लोगों, परिस्थितियों, वस्तुओं और विभिन्न प्रकार की समस्याओं का एक अनंत समूह है जिसका हम समय-समय पर सामना करते रहते हैं। हालाँकि बहुत से लोग यह तर्क देंगे कि, कभी कभी ख़ुशी और प्यार में; कभी कभी दुःख और असंतोष में भावुक होना और रोना नेचुरल है। इसके अलावा, विभिन्न नकारात्मक और सकारात्मक परिस्थितियों में अपने अपनो और प्रियजनों के लिए आँसू बहाना, भावुक होना अच्छा है, परन्तु सच्चाई इससे अलग है। हमारा आंतरिक अस्तित्व व आत्मा; कई जन्मों और पुनर्जन्मो के चक्र में आते आते नीचे आ गई है और समय के साथ कमजोर होती गई। आत्मा की शक्तियां सबसे अधिक तब होती हैं, जब वह इस दुनिया में शुरुआत में अपनी भूमिका निभाना शुरू करती है और अपने आस-पास की हर चीज से जुड़ी नहीं होती है। परिणामस्वरूप, वह कम भावुक लेकिन अधिक खुश रहती है। यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन जैसे-जैसे यह जन्मों के चक्र में आते आते कमजोर होती गई, खुशी कम होती गई और भावुकता बढ़ती गई।
और स्वयं को इन सबसे मुक्त करने के लिए सबसे पहले हमें यह स्वीकार करना होगा है कि, अत्यधिक भावुक होना वास्तव में मुक्त होना नहीं है, जैसा कि हमने पिछले दो दिनों के संदेशों में समझा है। अगला स्टेप है अपनी अवेयरनेस को चेंज करके फ्री होना है। इसके लिए पॉजिटिव एफरमेंशन क्रिएट करें और पूरे दिन उन्हें याद रखकर अपने कार्यों में एप्लाई करें; उदाहरण के लिए: मैं ज्योति स्वरूप हूं, शक्ति से भरपूर एक आध्यात्मिक एनर्जी हूं। मैं अपनी मन रूपी आँखों द्वारा अपने आस-पास की हर चीज़ को देखती हूँ। मैं हर दृश्य, हर व्यक्ति, हर वस्तु में आध्यात्मिक शक्ति और आनंद रेडिएट करती हूँ। लेकिन मैं उनकी एनर्जी पर डिपेंड नहीं करती हूं। मैं सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न आत्मा हूँ। दूसरा उदाहरण: मैं प्रेम से भरपूर आत्मा हूँ, मैं विशाल दिल के साथ हर किसी और हर चीज से प्यार करती हूं, लेकिन मैं लगावमुक्त हूं। इसलिए मैं प्यार में कभी दुख महसूस नहीं करती, मैं जीवन की हर नकारात्मक परिस्थिति को सकारात्मकता प्रदान करने वाली शक्तिस्तंभ हूं, इसलिए दुख और अस्वीकृति में भी मुझे दुख नहीं होता।
हममें से कुछ लोगों को हमारे रिश्तों में दूसरों पर संदेह करने की सूक्ष्म आदत होती है। कभी-कभी इसका संबंध हमारी आदत के कारण ज्यादा
यदि हम अपने जीवन का अधिकांश समय अपनी विशेषताओं, अपने व्यक्तित्व या अपनी भूमिका को निभाने में या उनसे जुड़े रहते हैं, तो समय के
हम सभी को स्वयं को दूसरों के नजरिए से, दृष्टिकोण से देखने की आदत हो चुकी है, जो शारीरिक दृष्टिकोणों पर आधारित है और सांसारिक
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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