11th feb 2025 soul sustenence hindi

February 11, 2025

क्या पुनर्जन्म एक वास्तविकता है?

हम सभी आध्यात्मिक आत्माएँ हैं जो अपने-अपने शरीर द्वारा विभिन्न भूमिकाएँ निभा रही हैं। जब हम सोचते हैं, कल्पना करते हैं और अपने स्वभाव या संस्कारों के आधार पर अलग-अलग तरीकों से कार्य करते हैं, तो हम अपने आध्यात्मिक स्वरूप को अनुभव करते हैं। यह भी एक सर्वस्वीकृत सत्य है कि हम समय-समय पर अपने भौतिक शरीर को बदलते हैं और जन्म-मरण के चक्र में आते हैं, जिसे पुनर्जन्म कहा जाता है। हालाँकि, संसार में कई लोग पुनर्जन्म में विश्वास नहीं रखते। वे इसे मात्र एक कल्पना मानते हैं और सोचते हैं कि जीवन केवल एक भौतिक प्रक्रिया है, जिसमें सभी विचार और कल्पनाएँ मस्तिष्क से उत्पन्न होती हैं, न कि आत्मा से। वे यह भी मानते हैं कि संस्कार या स्वभाव, केवल माता-पिता से विरासत में मिले शारीरिक जीन का परिणाम होते हैं, और आत्मा उन्हें अपने साथ आगे नहीं ले जाती।  

 

परन्तु आध्यात्मिकता हमें सिखाती है कि परमात्मा हमारी तरह एक आध्यात्मिक ऊर्जा हैं, लेकिन वे जन्म और मरण के चक्र में नहीं आते। वे सदैव आत्माओं के घर सोल वर्ल्ड में स्थित रहते हैं और केवल तब ही इस धरा पर अवतरित होते हैं जब संसार अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा खो देता है और गुणों में गिरावट आती है। तब परमात्मा, इस पूरे विश्व और सभी आत्माओं को अपने दिव्य गुणों से भरपूर करके पुनः ऊँचा उठाते हैं। वे कलियुग को सतयुग में परिवर्तित करते हैं, जिसे स्वर्ग कहा जाता है। जब परमात्मा इस धरती पर आते हैं, तो वे पुनर्जन्म का ज्ञान देते हैं और हमें यह बताते हैं कि आत्माएँ कैसे भौतिक शरीर के माध्यम से अपनी-अपनी भूमिकाएँ निभाती हैं सतयुग की शुरुआत से लेकर कलियुग के अंत तक, और फिर परमात्मा आत्माओं को शुद्ध करने के बाद पुनः सतयुग स्थापित करते हैं। यह चक्र सतयुग से लेकर कलियुग तक निरंतर चलता रहता है और बार-बार दोहराया जाता है।

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